सुण ज्ञानी भाई खेती करो रे आतम ज्ञान री ।सुण श्रावक भाई खेती करो रे धुवधाम री ॥टेक॥तन की तो खेती रे जियरा,मन का जो बैल दिया, हल लगेगा गुरु ज्ञान रो,सुण श्रावक भाई खेती करो रे धुवधाम री ॥1॥खाद न लागे रे जियरा, बीज न लागे,टेक्स न लागे सरकार रो,सुण श्रावक भाई खेती करो रे धुवधाम री ॥2॥खायो न खूटे रे जियरा, चोर न लूटे दाम, न लागे छ्दाम रे,सुण श्रावक भाई खेती करो रे धुवधाम री ॥3॥गरभवास में करिया रे वादा,बाहर होयो ने, बेईमान रे,सुण म्हारा भाई खेती करो रे धुवधाम री ॥4॥बालपणों तूने खेल गंवायो, भर जवानी तू तोसुख भर सोयो, देख बुढ़ापा तू तो रोयो रे,सुण ज्ञानी भाई खेती करो रे धुवधाम री ॥5॥कंकरी जोड़ कंकरी तूने महल चुणायो,चिड़िया रैन बसेरा रे,सुण ज्ञानी भाई खेती करो रे आतमराम री ॥6॥भाई जो बंधु थारे कुटुंब कबीला रे,कोई न आवे थारे साथ रे,सुण ज्ञानी भाई खेती करो रे आतमराम री ॥7॥कहत 'बनारसी' समकित धारो,यम नहीं आवे थारे पास रे,सुण ज्ञानी भाई खेती करो रे आतमराम री ।सुण श्रावक भाई खेती करो रे धुवधाम री ॥8॥