हिंसा झूठ वचन अरु चोरी, परनारी नहीं हरिये,निज पर को दुखदायन डायन तृष्णा बेग विसरिये...॥१॥जासों परभव बिगड़े वीरा ऐसो काज न करिये,क्यों मधु-बिन्दु विषय को कारण अंधकूप में परिये...॥२॥गुरु उपदेश विमान बैठके यहाँ ते वेग निकरिये,'नयनानन्द' अचल पद पावे भवसागर सो तिरिये...॥३॥