कुमति को छाड़ो भाई हो ॥टेक॥कुमति रची इक चारुदत्त ने वेश्या संग रमाई ।सब धन खोय होय अति फीके गुंथ ग्रह लटकाई ॥कुमति को छाड़ो भाई हो ॥१॥कुमति रची इक रावण नृप सीता को हर ल्याई ।तीन खण्ड को राज खोयके दुरगति वास कराई ॥कुमति को छाड़ो भाई हो ॥२॥कुमति रची कीचक ने ऐसी द्रोपदि रूप रिझाई ।भीम हस्त थंभ तले गड़ि दुक्ख सहे अधिकाई ॥कुमति को छाड़ो भाई हो ॥३॥कुमति रची एक धवल सेठ ने मदन मजूसा ताई ।श्रीपाल की महिमा देखि के डील फाटि मरि जाई ॥कुमति को छाड़ो भाई हो ॥४॥कुमति रची इक ग्राम कूटने रक्त कुरंगी माई ।सुन्दर सुन्दर भोजन तजके गोबर भश्त कराई ॥कुमति को छाड़ो भाई हो ॥५॥राय अनेक लुटे इस मारग वरनत कौन बड़ाई ।'बुध महाचन्द्र' जानिये दुखकों कुमती द्यो छिटकाई ॥कुमति को छाड़ो भाई हो ॥६॥