पर्व दस लक्षण खुशी से मनाओ,क्षमाभाव अपने हृदय में जगाओ ॥टेक॥भरो भाव मार्दव मान को हटाओ,रहो दूर छल से तो आर्जव बढ़ाओ,वचन सत्य बोलो, शौच धर्म ध्याओ,आतम को अपनी पावन बनाओ ॥१॥दया जीव षट् काय पर तुम दिखाओ,संयम से अपने हृदय को सजाओ,तप से करम के शिखर को गिराओ,देकर के दान त्याग प्रगटाओ ॥२॥आकिंचन को उर ला परिग्रह हटाओ,वरो शील जप-तप जीवन सार्थक बनाओ,साथ सोलह कारण भावना बढ़ाओ,रत्नत्रय की ज्योति में उर जगमगाओ ॥३॥मंगलमयी पर्व पूरण जो होता है,क्षमा याचना का शुभ दिन जो आता है,क्षमा ही क्षमा तब अपने मुख पे पाओ,क्षमाभाव सबसे क्षमा दरसाओ ॥४॥