भूतबली श्री पुष्पदन्त को शत शत करूँ प्रणामतुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥इस कलिकाल पंचम मांहि, किया स्व-पर कल्याण ॥टेक॥श्री धरसेनाचार्य प्रधानी अल्पायु जब अपनी जानीपरिपाटी सिद्धान्त लुप्त जब खो जाएगा ज्ञान ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥१॥पत्र दूसरे संघ पठाया, कारण अपना सब समझायाद्वै मुनि हो श्रुत योग्य शीघ्र तुम, भेजो हमरे स्थान ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥२॥भूतबली पुष्पदन्त पठाए, श्री गिरनार गुफा में आएश्री धरसेन जहां पर तिष्ठे, योगी पुरुष महान ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥३॥ तीन दिवस गुरु बने परीक्षक, दी विद्या अक्षर न्यूनाधिकविद्या साधन हेतु जाओ तुम निर्जन स्थान ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥४॥न्यूनाधिक को पूर्ण बनाए, विद्या साध गुरु ढिग आएहो प्रसन्न गुरु अंग ज्ञान दे, किया आत्म कल्याण ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥५॥भूतबली महाधवल बनाए षटखंडागम भेद रचाएवीरसेन इन टीका कीनी हरा तिमिर अज्ञान ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥६॥ज्येष्ट सुदी पंचम सुखकारी, हुई सिद्धान्त प्रतिष्ठा भारीतब ही से श्रुत ज्ञान पंचमी जग में हुई प्रधान ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥७॥भव्य जनों सब मिलकर आओ गुरुवानी की महिमा गाओभूतबली श्री पुष्पदन्त को शत शत करूँ प्रणाम ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥८॥नरनारी मिल हर्ष मनाओ जिनवाणी की पूज रचाओहमको शास्त्र ज्ञान से होगा भव-भव में कल्याण ॥तुम्हारी महिमा बड़ी महान ॥९॥