जिनमंदिर का शिलान्यास , यह मंगलकारी होधन्य -धन्य जिनराज विराजें,आनंदकारी हो ॥टेक॥जिन दर्शन कर बहुत जीव , दुख पाप निवारगेंजिन भक्ति कर भव्य जीव , निज भाव सुधारेंगेमोक्षमार्ग का निमित्तभूत यह आनंदकारी हो ॥१ जिन॥दान पुण्य का उत्तम, अवसर हमने पाया हैभक्ति भावमय हर्ष ह्रदय में, नही समाया हैअहो समर्पण द्रव्य भाव का, मंगलकारी हो ॥२ जिन॥हो सम्यक श्रद्धान हमारा, ज्ञान सु अविकारीसहज अहिंसामयी आचरण ,सबको सुखकारीस्यादवादमय तत्व निरूपण, मंगलकारी हो ॥३ जिन॥पंच परम् परमेष्ठी के गुण, हर्ष सहित गावेचैत्य चैत्यालय जिनवाणी को ,सविनय शीश नवावेजैन धर्म की नित ,प्रभावना मंगलकारी हो ॥४ जिन॥सुखी रहे सब जीव सहज ही तत्त्व ज्ञान पावेंविषय कषायों को तजकर ,जिन संयम अपनावेधर्माराधक आत्माराधक मंगलकारी हो ॥५ जिन॥