पर्व दशलक्षण मंगलकार, पर्व दशलक्षण आनन्दकार ।अहो खुशी का अवसर आया, बोलो जय जयकार ॥टेक॥है यह शाश्वत पर्व धार्मिक, शिवस्वरूप शिवकार ।नहीं व्यक्ति, नहिं सम्प्रदाय का, सब ही को सुखकार ॥पर्व दशलक्षण मंगलकार, पर्व दशलक्षण आनन्दकार ॥1॥श्री जिनवर की पूजा करिये, विषय-कषाय विडार ।सम्यक् भक्ति करो प्रभुवर की होओ भव से पार ॥पर्व दशलक्षण मंगलकार, पर्व दशलक्षण आनन्दकार ॥2॥जिनवाणी की चर्चा सुनिये, भाव विशुद्धि धार ।तत्त्वों का सम्यक् निर्णयकर, भेदज्ञान अवधार ॥पर्व दशलक्षण मंगलकार, पर्व दशलक्षण आनन्दकार ॥3॥बैठ एकान्त विचार सु करिये, निज स्वरूप अविकार ।निर्विकल्प आतम अनुभव कर, सफल करो अवतार ॥पर्व दशलक्षण मंगलकार, पर्व दशलक्षण आनन्दकार ॥4॥सम्यक्दर्शन ज्ञान सहित, उत्तम चारित्र विचार ।क्रोधादिक दुर्भाव निवारो, धरो क्षमादिक सार ॥पर्व दशलक्षण मंगलकार, पर्व दशलक्षण आनन्दकार ॥5॥सत्य पंथ निर्ग्रन्थ दिगम्बर, संयम तप हितकार ।त्याग-आकिंचन्य-ब्रह्मचर्य धर, सर्व द्वन्द निरवार ॥पर्व दशलक्षण मंगलकार, पर्व दशलक्षण आनन्दकार ॥6॥धर्म और धर्मी को समझो, तजो पक्ष दुःखकार ।धर्मी के आश्रय से जीवन, होय धर्ममय सार ॥पर्व दशलक्षण मंगलकार, पर्व दशलक्षण आनन्दकार ॥7॥