पर्व अठाई जब जब आवे, सभी देव जायें दर्शन को, दर्शन पूजन वन्दन करते, ध्वजा चढाते हर मन्दिर को। वो तो लहर लहर लहराये, ध्वजा हर मन्दिर की, लागी लागी रे लगन मन मीत, प्रभुजी के दरशन की। अष्टम दीप महान है, नन्दीश्वर जिन धाम है, बत्तीस रतिकर, सोलह दधिमुख, अंजनगिरी जहां चार है।है महिमा अपरम्पार श्री जिन प्रतिमा की, लागी लागी रे लगन मन मीत, प्रभुजी के दरशन की। रतनमयी प्रतिमा है प्यारी, धनुष पांच सौ पद्मासन, बावन जिन मंदिर जहां प्यारे, पर्वत ढोल समान है।मनहर मूरती सुख दाई, श्री जी के मंदिर की, लागी लागी रे लगन मन मीत, प्रभुजी के दरशन की। दर्शन को मेरे प्यासे नैना, पूजन की मोहे आस है, द्वार तुम्हारे आने को मेरे मन में बड़ी इक प्यास है, करो पूरण मन की आस, प्रभुजी के दरशन की, लागी लागी रे लगन मन मीत, प्रभुजी के दरशन कीलागी लागी रे लगन मन मीत, प्रभुजी के दर्शन की, दर्शन की मन दरशन की हां , दर्शन की मन दर्शन की हां नन्दीश्वर के दरशन की, लागी लागी रे लगन मन मीत, प्रभुजी के दर्शन की।