थे म्हारे मन भायाजी चंद जिनंदा,बहुत दिनामैं पाया छौ जी ॥टेक॥सब आताप गया ततखिन ही, उपज्या हरष अमंदा ॥थे म्हारे मन भायाजी चंद जिनंदा ॥1॥जे मिलिया तिन ही दुख भरिया, भई हमारी निंदा ।तुम निरखत ही भरम गुमाया, पाया सुख का कंदा ॥थे म्हारे मन भायाजी चंद जिनंदा ॥२॥गुन अनन्त मुखतैं किम गाऊं, हारे फनिंद मुनिंदा ।भक्ति तिहारी अति हितकारी, जाँचत 'बुधजन' वंदा ॥थे म्हारे मन भायाजी चंद जिनंदा ॥3॥