आज मैं महावीर जी आया तेरे दरबार में,कब सुनाई होगी मेरी आपकी सरकार में ।तेरी किरपा से है माना लाखों प्राणी तिर गये ।क्यों नहीं मेरी खबर लेते मैं हुं मंझधार में ।१।काट दो कर्मों को मेरे है ये इतनी आरजू ।हो रहा हूं ख्वार मैं दुनिया के मायाचार में ।२।आप का सुमिरन किया जब मानतुंगाचार्य ने ।खुल गयी थी बेडियां झट उनकी कारागार में ।३।बन गया सूली से सिंहासन सुदर्शन के लिये ।हो रहा गुणगान है उस सेठ का संसार में ।४।मुश्किलें आसान कर दो अपने भक्तों की प्रभो ।यह विनय पंकज की है बस आपके दरबार में ।५।