मणियों के पलने में स्वामी महावीर, झूला झूले रे भैया हां हां रे झूला झूले रे भैयापलना में रेशम की डोरी पडी है, वा में मणियन की गुरिया जडी हैत्रिशला माता झुलाय रही रे, झूला झूले ।कुंडलपुर वासी बोले सारे, वीरा कुंवर की जय जयकारेदर्शन कर चरणा छूले रे, झूला झूले ।चुटकी बजाय रही, हंस हंस खिलाय रहीहोले होले से झूला झुलाय रहीघर घर बाजे बधाई रे, झूला झूले ।इंद्र भी आवे, इंद्राणी भी आवे, देश विदेश के राजा भी आयेचरणों में भेंट चढाय रहो रे, झूला झूले ।