नेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥टेक॥असंख्या घोडा और हाथी, मनुष्य री गिणती नहीं आती ।ऊंट पर ध्वजा जो फहराती, धमक से धरती थर्राती ।समुद्रविजय जी का लाड़ला, नेमि उन्हों का नाम ।राजुल देखो आवे परणवा, उग्रसेन घर ठाम ।प्रसन्न भई नगरी मनहारी, देखण को आए नर-नारी नेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥१॥कशुमल बागां अति भारी, कान में कुण्डल छवि न्यारीकिलंगी तुर्रा सुखकारी, मालगल मोतियन की डारीकाने कुण्डल जगमगे, शीश मुकुट झलकारकोटि भानु की करूँ ओपमा, शोभा अपराम्पारबाज रह्या बाजा टकसारी, देखण को आए नर-नारीनेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥२॥छूट रही उनकी शहनाई, ब्याह में आए बड़े भाई ।झरोखे राजुल दे आई, जान को देखी सुख पाई ।उग्रसेन जी देख के, मन में करे विचार ।बहुत जीव करी एकट्ठा, बाड़ो भर्यो अपार ।करी सब भोजण की त्यारी, देखण को आए नर-नारी नेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥३॥नेमजी तोरण पर आए, जीव पशु सब ही बिरलाए ।नेमजी वचन जु फरमाए, जीव पशु काहे को लाएयाको भोजन होवसी, जान वास्ते एह ।एह वचन सुणी नेमजी, थर-थर कांपी देह ।भाव सूं चढ़ गया गिरनारी, देखण को आए नर-नारी नेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥४॥पीछे सूं राजुल दे आई, हाथ जब पकड्यो छिन माही ।कहाँ तू जावै मेरे जायी, और वर हेरूँ तुझ ताई । मेरे तो वर एक ही, हो ग्या नेमकुमार ।और भुवन में वर नहीं, कोटि जो करो विचार ।दीक्षा फिर राजुल ने धारी, देखण को आए नर-नारी नेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥५॥सहेल्यां सब मिल समझावे, हिये राजुल के नहीं आवे ।जगत सब झूठो दरसावे, म्हारे तो मन नेमकुवंर भावे ।तोड्या कंकण दोरडा, छोड्या नवसरहार ।काजल टीकी पान सुपारी, तज दिया सब सिंगार ।सहेल्यां बिलख रही सारी, देखण को आए नर-नारी नेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥६॥तज्या सब सोलह सिंगारा, आभूषण रत्नजड़ित सारा ।लगे मोहे सब सुख ही खारा, छोड़कर चाली निरधारा ।मात पिता पारिवार को, तजता न लागी वार ।जाय मिलूँ म्हारा नेमपियासूं, जाय चढ़ी गिरनार ।बिलखती छोड़ी माँ प्यारी, देखण को आए नर-नारी नेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥७॥दया दिल पशुअन की आई, त्याग कर दीनो छिनमाई ।नेमजी गिरनारी जाई, पशुन की बंधन छुड़वाई ।नेम राजुल गिरनार पे, ध्यायो निर्मल ध्यान ।'नवलराम' करी लावणी, उपजो केवलज्ञान ।मुक्ति का हुआ जो अधिकारी, देखण को आए नर-नारी नेमजी की जान बणी भारी, देखन को आए नर-नारी ॥८॥