पार्श्व प्रभुजी पार लगादो, मेरी यह नावरिया । बीच भंवर में आन फंसी है काढोजी सांवरिया ॥टेक॥ धर्मी तारे बहुत ही तुमने, एक अधर्मी तार दो । वीतराग है नाम तिहारो तीन जगत हितकार हो । अपना विरद निहारो स्वामी, काहे को विसरिया ।पार्श्व प्रभुजी पार लगादो, मेरी यह नावरिया ॥१॥ चोर भील चांडाल हैं तारे, ठील क्यों मेरी बार है । नाग नागिनी जरत उबारे, मन्त्र दिया नवकार है । दास तिहारो संकट में है, लीजोजी खबरिया । पार्श्व प्रभुजी पार लगादो, मेरी यह नावरिया ॥२॥ लोहे को जो कंचन करदे, पारस नाम प्रमान वो । मैं हूँ लोहा तुम प्रभु पारस, क्यों ना फिर कल्याण हो ।पार्श्व प्रभुजी पार लगादो, मेरी यह नावरिया ॥३॥