कुण्डलपुर वाले कुण्डलपुर वाले वीरजी हमारे कुण्डलपुर वाले वीरजी हमारे कुण्डलपुर वाले ॥ मां त्रिशला घर जन्म लियो है, माता की कोख को धन्य कियो है नृप सिद्धार्थ के आंखों के तारे...वीरजी हमारे कुण्डलपुर वाले ॥ अंतिम जन्म हुआ प्रभुजी का, जन्म मरण को नाश कियो है नृप सिद्धार्थ के आंखों के तारे...वीरजी हमारे कुण्डलपुर वाले ॥ स्वर्ग पुरी से सुरपति आये, ऐरावत हाथी ले आये रतन बरसाये हां न्हवन कराये...वीरजी हमारे कुण्डलपुर वाले ॥ देखो भैया इन्द्र भी आये, पंचकल्याणक का उत्सव कराये सभी हरषाये हां खुशियां मनाये...वीरजी हमारे कुण्डलपुर वाले ॥ पांडुक शिला पर प्रभु को बिठाये, क्षीरोदधि से न्हवन कराये प्रभु दर्शन कर अति हरषाये, मंगल तांडव नृत्य रचाये सभी हरषाये हां खुशियां मनाये...वीरजी हमारे कुण्डलपुर वाले ॥ तन से भिन्न निजातम निरखे, निज अंतर का वैभव परखे भेद ज्ञान की ज्योति जलावे, संयम की महिमा चित लावे गये पावापुरी गये पावापुरी...वीरजी हमारे कुण्डलपुर वाले ॥