परनारी विष बेल कूँ मत जोवे रे भाई ।रावण तीन खण्ड को राजा पड्यो नर्क के माँई,और सुनी आगम में बहुजन यातैं दुर्गति पाई ॥परनारी विष बेल कूँ मत जोवे रे भाई ॥१॥मदिरा पीकर होत बावरो लख्या सपरस्याँ नाँही,लख्यां सपरस्याँ सुमरण कीयाँ वह मारे संहजाई ॥परनारी विष बेल कूँ मत जोवे रे भाई ॥२॥दृष्टि विष श्रुत ही मैं सुनी है प्रत्यक्ष कोऊ ना सखाई,दृष्टि निषा प्रत्यक्ष येम तै तजो दूर तैं याही ॥परनारी विष बेल कूँ मत जोवे रे भाई ॥३॥जप तप ज्ञान ध्यान संयम यम संगति किया नशाई,आतम काज करो तो 'पारस' याकी तज द्यो छाँई ॥परनारी विष बेल कूँ मत जोवे रे भाई ॥४॥