मत कर तू अभिमान रे भाई, झूठी तेरी शान ॥टेक॥तेरे जैसे लाखों आये, लाखों इस माटी ने खाये, रहा न नाम निशान, रे भाई ॥मत कर तू अभिमान, झूठी तेरी शान ॥१॥माया का अंधकार निराला, बाहर उजला अन्दर काला, मूरख इसको जान, रे भाई ॥मत कर तू अभिमान, झूठी तेरी शान ॥२॥झूठी माया झूठी काया, वही तिरा जिन प्रभु गुण गाया, जपले वीर भगवान, रे भाई ॥मत कर तू अभिमान, झूठी तेरी शान ॥३॥तेरे पल्ले हीरे मोती, मेरे मन मन्दिर में ज्योति, कौन हुआ धनवान, रे भाई ॥मत कर तू अभिमान, झूठी तेरी शान ॥४॥मुश्किल से यह नर तन पाया, जैन धर्म का शरणा पाया, करले निज कल्याण, रे भाई ॥मत कर तू अभिमान, झूठी तेरी शान ॥५॥