जैनी धारियोजी, उत्तम शौच सदा मन भाया ।दुखदाई लालच दुख देता, सुनलो उसका हाल ॥टेक॥सच्चे मन से लोभ त्याग दो, ये जी का जंजाल ।कौन कहत है लोभ बिना तुम, होवोगे कंगाल ॥जैनी धारियोजी, उत्तम शौच सदा मन भाया ॥१॥निर्लोभी बनने की शिक्षा, प्रभु से ले लो आज ।उत्तम शौच की जाप जप लो, मुक्ति का ये साज ।जैनी धारियोजी, उत्तम शौच सदा मन भाया ॥२॥राग-द्वेष मन में नहीं लाना, ये है काला साँप ।निज स्वरूप पहिचान लो प्यारे, फिर देखो तुम आप ।जैनी धारियोजी, उत्तम शौच सदा मन भाया ॥३॥हृदय में संतोष धरोगे, निश्चय बेड़ा पार ।'विद्या' पर्व के उत्तम दिन में, कर अपना उद्धार ॥जैनी धारियोजी, उत्तम शौच सदा मन भाया ॥४॥