जिया तोहे बार-बार समझायो समझरे झूठ कभी मत बोल ।झूठ कभी मत बोल तू साँच जवाहर खोल ॥टेक॥जग में से परतीत उठत है लाभ कछु नहिं होय ।लाभ कछु नहीं होय चतुर अब सत्य सदा शिव तोल ॥जिया तोहे बार-बार समझायो समझरे झूठ कभी मत बोल ॥१॥वसुराजा की तरफ गौर कर यही हाल बस होय ।यही हाल बस होय देख अब आंख जरा तू खोल ॥जिया तोहे बार-बार समझायो समझरे झूठ कभी मत बोल ॥२॥सत्यघोष सम झूठ बोलकर पकड़ करम को रोय ।पकड़ करम को रोय मूढ़ कर मत रख दिल में मोल ॥जिया तोहे बार-बार समझायो समझरे झूठ कभी मत बोल ॥3॥आतम हित कुछ सोच बावरे पागल मत तू होय ।पागल मत तू होय भूलकर आफत मत तू होय ॥जिया तोहे बार-बार समझायो समझरे झूठ कभी मत बोल ॥4॥झूठ बोलकर औरे न ठगनों कहा ठगी से होय ।कहां ठगी से होय करम नर शुभ कारज कर धोय ॥जिया तोहे बार-बार समझायो समझरे झूठ कभी मत बोल ॥5॥तू 'कुमरेश' समझ अब भी जा झूठ कहें नहीं सोय ।झूठ कहे ना कोई मिले नहीं नरभव यो अनमोल ॥जिया तोहे बार-बार समझायो समझरे झूठ कभी मत बोल ॥6॥