सूरत प्यारी-प्यारी है, कितनी न्यारी-न्यारी है,मेरे स्वामी तेरी जय हो, जय हो, जय हो ॥टेक॥तेरी भक्ति करूंगा मैं नित प्रतिपल,चरणों में तेरे ही नाथ रहूंगा,तेरे गुणों को में याद करूंगा, बोलो जय-३ सब ॥सूरत...१॥तेरे मुखड़े पर मैं वारी जाऊँगा,तेरी महिमा मैं नित गाऊँगा,तेरे सहारे मैं भव तरुंगा,तेरे गुणों को मैं याद करूंगा, बोलो जय-३ सब, ॥सूरत...२॥क्रोध, मान, माया से दूर रहूंगा,अपने कर्मों को मैं चूर करूंगा,जीवन में अपने मैं ज्योति भरूंगा,तेरे गुणों को मैं याद करूंगा, बोलो जय-३ सब, ॥सूरत...३॥अपने भक्त की आप पीर हर लो,तू ज्ञानी मुझ में कुछ ज्ञान भर दो,नैन प्रभु भक्ति का पान करूंगा,तेरे गुणों को मैं याद करूंगा, बोलो जय-३ सब, ॥सूरत...४॥