श्री [[वृषभनाथ]] का कहता बैल, छोड़ो चार गति की जेल ।[[अजितनाथ]] का कहता हाथी, जग में नही है कोई साथी ।[[संभवनाथ]] का कहता घोड़ा, जीवन है अपना ये थोड़ा ।[[अभिनंदन]] का कहता बंदर, कितनी कषाय भरी है अंदर ।[[सुमतिनाथ]] का कहता चकवा, धर्मी का है जग में रुतवा ।[[पद्मप्रभ]] का लाल कमल, कभी किसी से करो ना छल ।श्री [[सुपार्श्वनाथ]] का कहता साथिया, काटो अब तुम कर्म घातिया ।[[चन्द्रप्रभ]] का कहता चंद्रमा, सच्ची है जिनवाणी माता ।[[पुष्पदंत]] का कहता मगर, मोक्षमहल की चलो डगर ।[[शीतलनाथ]] का कहता कल्पवृक्ष, धर्म मार्ग में हो जा दक्ष ।[[श्रेयांशनाथ]] का कहता गेंडा, कभी चलो न रास्ता टेडा ।[[वासुपूज्य]] का कहता भैंसा, जैसी करनी फल हो वैसा ।[[विमलनाथ]] का कहता सूकर, बुरे काम तू कभी ना कर ।[[अनंतनाथ]] का कहता सेही, बड़े पुण्य से मिली ये देही ।[[धर्मनाथ]] का कहता वज्रदण्ड, कभी ना करना कोई घमंड ।[[शांतिनाथ]] का कहता हिरण, सत्य धर्म की रहो शरण ।[[कुंथुनाथ]] का कहता बकरा, मोक्षमहाल का पथ है सकरा ।[[अरनाथ]] की कहती मीन, रत्न कमा लो अब तीन ।[[मल्लिनाथ]] का कहता कलशा, बनाओ निर्मल मन को जल सा ।[[मुनिसुव्रत]] का कहता कछुआ, धर्म से जीवन सफल हुआ ।[[नमिनाथ]] का कहता कमल, शुभ करनी का उत्तम फल ।[[नेमिनाथ]] का कहता शंख, व्रती संयमी सम रहे निशंक ।[[पारसनाथ]] का कहता सर्प, मिटाओ मन से सारे दर्प ।[[महावीर]] का कहता शेर, चलो मोक्ष में करो ना देर ।