माँ सुनाओ मुझे वो कहानीजिससे हो जावे भव-दुख की हानिजिसमें शुद्धात्मा की कथा हो मुनियों के आचरण की दशा हो संकटों में सहारा हमें देज्ञान-धारा का अमृत बहा देजिससे मिल जाए आतम सुहानी ॥माँ...१॥जो विभावों की दृष्टि हटाएजो स्वभावों की दृष्टि कराएजिसमें शुद्धात्म का रस भरा होजिसमें मुक्ति की पकती कथा होजिससे परिणति होवे वीतरागी ॥माँ...२॥पाप भावों से हमें जो बचा देआत्म-हिट की विशुद्धि जगा देऐसी लॉरी हमें तू सुना देमोह की नींद जो भगा देमाँ दिखा वो चेतन निशानी ॥माँ...३॥