सारे जहां में अनुपम, जिनराज हैं हमारेहम भक्त-गण हैं उनके, भगवान ये हमारे ॥टेक॥कल्याण करने वाले, शंकर भी बस यही हैं ।कैवल्य बोध जिसका, ये बुद्ध है हमारे ।सारे जहां में अनुपम, जिनराज हैं हमारे ॥१॥पुरुषार्थ प्रगट करता कहती जिसे पुरुषोत्तमजो मुक्ति का विधाता, ब्रह्मा यही हमारे ।सारे जहां में अनुपम, जिनराज हैं हमारे ॥२॥त्रैलोक्य के जो स्वामी, फिर भी न मोह ममताजगत के जो सहारे, जगदीश ये हमारे ।सारे जहां में अनुपम, जिनराज हैं हमारे ॥३॥नहीं राग-द्वेष कोई, निर्ग्रंथ वीतरागी ।सर्वज्ञ हितोपदेशी, जिनराज हैं हमारे ।सारे जहां में अनुपम, जिनराज हैं हमारे ॥४॥किस नाम से पुकारूँ, कोई बनें न उपमा ।कर्मों को जिसने जीता, महावीर ये हमारे ।सारे जहां में अनुपम, जिनराज हैं हमारे ॥५॥चेतन निजात्म ज्योति, आराधना से जागे ।परमातमा है पावन, जिनदेव ये हमारे ।सारे जहां में अनुपम, जिनराज हैं हमारे ॥६॥