म्हानै पतो बताद्यो, थाँसू दुनिया में दूजो और कुण ॥टेक॥तीन लोक पति आप चराचर, तीन काल की जाणो, थाँनै छोड़ शरण ल्यूँ कुण री, या तो जरा बताद्यो ॥म्हानै पतो बताद्यो, थाँसू दुनिया में दूजो और कुण ॥१॥मिल्या अनन्ता कामी क्रोधी, भोग रोग भव वासी, वीतराग निर्दोष न भेंट्यो, देखी मथुरा काशी ॥म्हानै पतो बताद्यो, थाँसू दुनिया में दूजो और कुण ॥२॥वात पित्त कफ तन पीड़ा हर, वन वन औषध ऊभी, जन्म जरा मृत्यु भय नाशक, मिली न थाँसी खूबी ॥म्हानै पतो बताद्यो, थाँसू दुनिया में दूजो और कुण ॥३॥उत्तम मंगल शरण आपकी, दर्शन आनन्दकारी, निज पर ज्ञान कला सरसावे, निश्चय सुख फुलवारी ॥म्हानै पतो बताद्यो, थाँसू दुनिया में दूजो और कुण ॥४॥इन्द्र संपदा चक्रीपद की, नही याचना थाँसू, आतम बल 'सौभाग्य' दिपास्यूँ, मिलै मोक्ष पद जासूँ ॥म्हानै पतो बताद्यो, थाँसू दुनिया में दूजो और कुण ॥५॥