तुझे बेटा कहूँ कि वीरा, तू तो है जाननहारा ।मेरा वीर बनेगा बेटा, महावीर बनेगा बेटा ॥टेक॥ये पंच परम परमेष्ठी, आदर्श पिता ये तेरे,हम तो झूठे स्वारथ के संयोगी साथी सारे ।तू नितप्रति उनको ध्याना, ज्ञायक नित सांझ सवेरे ॥मेरा वीर बनेगा बेटा, महावीर बनेगा बेटा ॥१॥तू गुणों के पलने में झूले, विषयों से दूर ही रहना,नहीं गंध कषायों की भी, तेरे सहज स्वरूप में बेटा ।तू अरस अरूपी भगवन, भगवन् ही बनकर रहना ॥मेरा वीर बनेगा बेटा, महावीर बनेगा बेटा ॥२॥मोह की अंधियारी बीते खुलते जब ज्ञान के नैना,तुम ज्ञायक को नित लखना, संयोग का मोह न करना ।तुम सहज हो जाननहारे बस जाननहार ही रहना ॥मेरा वीर बनेगा बेटा, महावीर बनेगा बेटा ॥३॥तुम सहज हो ज्ञान स्वरूपी और सहज ही ज्ञाता रहना ।फिर सहज प्रगट हो जाए वह रत्नत्रय का गहना ॥जाने कर्म बंधसे न्यारा, अरु गणधर को भी प्यारा ।तुम भी चैतन्य में बसना, महावीर बनेगा बेटा ॥मेरा वीर बनेगा बेटा, महावीर बनेगा बेटा ॥४॥सहज को लखते-लखते, मुक्ति मार्ग प्रगट हो जाए,फिर काल अनंतो सुखमय, तुम मुक्ति पुरी में रहना ।तुम मुक्त स्वरूप को जानो, अपना स्वरूप पहचानो ॥मेरा वीर बनेगा बेटा, महावीर बनेगा बेटा ॥५॥