रे मन भज भज दीन दयाल ।जाके नाम लेत इक खिन में, कटै कोटि अघ जाल ॥टेक॥पार ब्रह्म परमेश्वर स्वामी, देखत होत निहाल ।सुमरण करत परम सुख पावत, सेवत भाजै काल ॥रे मन भज भज दीन दयाल ॥2॥इन्द्र फणिंद्र चक्रधर गावैं, जाकौ नाम रसाल ।जाके नाम ज्ञान प्रकासै, नासै मिथ्या चाल ॥रे मन भज भज दीन दयाल ॥३॥जाके नाम समान नहीं कछु, ऊरध मध्य पताल ।सोई नाम जपौ नित 'द्यानत', छांडि विषै विकराल ॥रे मन भज भज दीन दयाल ॥४॥