हमकौ कछू भय ना रे, जान लियौ संसार ॥टेक ॥जो निगोद में सो ही मुझमें, सो ही मोक्ष मँझार ।निश्चय भेद कछू भी नाहीं भेद गिनैं संसार ॥हमकौ कछू भय ना रे, जान लियौ संसार ॥१॥परवश ह्वै आपा विसारि के, राग द्वेष कौं धार ।जीवत मरत अनादि कालतें, यौंही है उरझार ॥हमकौ कछू भय ना रे, जान लियौ संसार ॥२॥जाकरि जैसैं जाहि समयमें, जो होवत जा द्वार ।सो बनि है टरि है कछु नाहीं, करि लीनौं निरधार ॥हमकौ कछू भय ना रे, जान लियौ संसार ॥३॥अग्नि जरावै पानी बोवै, बिछुरत मिलत अपार ।सो पुद्गल रूपी मैं बुधजन, सबकौ जाननहार ॥हमकौ कछू भय ना रे, जान लियौ संसार ॥४॥