नाम प्रकृति |
उत्कृष्ट अनुभाग |
जघन्य अनुभाग |
ज्ञानावरणीय ५ |
ती. मिथ्या. |
सूक्ष्मसाम्पराय का चरम समय |
दर्शनावरणीय ४ |
ती. मिथ्या. |
सूक्ष्मसाम्पराय का चरम समय |
निद्रा, प्रचला |
ती. मिथ्या. |
अपूर्वकरण में बन्धव्युच्छित्ति से पहले |
निद्रा निद्रा, प्रचला प्रचला |
ती. मिथ्या. |
सातिशय मिथ्यादृष्टि/चरम |
स्त्यानगृद्धि |
ती. मिथ्या. |
सातिशय मिथ्यादृष्टि/चरम |
अन्तराय ५ |
ती. मिथ्या. |
सूक्ष्मसाम्पराय का चरम समय |
मिथ्यात्व |
ती. मिथ्या. |
सातिशय मिथ्यादृष्टि/चरम |
अनन्तानुबन्धी 4 |
ती. मिथ्या. |
सातिशय मिथ्यादृष्टि/चरम |
अप्रत्याख्यान 4 |
ती. मिथ्या. |
प्रमत्तसंयत सन्मुख अविरतसम्यग्दृष्टि |
प्रत्याख्यान 4 |
ती. मिथ्या. |
प्रमत्तसंयत सन्मुख देशसंयत |
संज्वलन 4 |
ती. मिथ्या. |
अनिवृत्तिकरण में बन्धव्युच्छित्ति से पहले |
हास्य, रति |
ती. मिथ्या. |
अपूर्वकरण में बन्धव्युच्छित्ति से पहले |
अरति, शोक |
ती. मिथ्या. |
अप्रमत्तसंयत सन्मुख प्रमत्तसंयत |
भय, जुगुप्सा |
ती. मिथ्या. |
अपूर्वकरण में बन्धव्युच्छित्ति से पहले |
स्त्री, नपुंसक वेद |
ती. मिथ्या. |
ती. मिथ्या. |
पुरुष वेद |
ती. मिथ्या. |
अनिवृत्तिकरण में बन्धव्युच्छित्ति से पहले |
साता |
क्षपकश्रेणी |
मध्य मिथ्यादृष्टि सम्यग्दृष्टि |
असाता |
ती. मिथ्या. |
मध्य मिथ्यादृष्टि सम्यग्दृष्टि |
नरकायु |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
तिर्यंचायु |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
मनुष्यायु |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
देवायु |
अप्रमत्तसंयत |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
उच्च गोत्र |
क्षपक श्रेणी |
मध्य. मिथ्यादृष्टि |
नीच गोत्र |
चतु. तीव्र मिथ्यादृष्टि |
सप्तम पृथ्वी नारकी मिथ्यादृष्टि |
तीर्थंकर |
क्षपक श्रेणी |
नरक सन्मुख मिथ्यादृष्टि |
नरक द्वि. |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
तिर्यक् द्वि. |
मिथ्यादृष्टि देव नारकी |
सप्तम पू. नारकी |
मनुष्य द्वि. |
सम्यग्दृष्टि देव नारकी |
मध्य मिथ्यादृष्टि |
देव द्वि. |
क्षपकश्रेणी |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
एकेन्द्रिय जाति |
मिथ्यादृष्टिदेव मध्य मिथ्यादृष्टि |
देव मनुष्य तिर्यंच |
२-४ इन्द्रिय जाति |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
पंचेन्द्रिय जाति |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |
औदारिक द्वि. |
सम्यग्दृष्टि देव नारकी |
मिथ्यादृष्टि देव नारकी |
वैक्रियक द्वि. |
क्षपकश्रेणी |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
आहारक द्वि. |
क्षपकश्रेणी |
प्रमत्तसंयत सन्मुख अप्रमत्तसंयत |
तैजस शरीर |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |
कार्मण शरीर |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |
निर्माण |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |
प्रशस्त वर्णादि ४ |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |
अप्रशस्त वर्णादि ४ |
ती. मिथ्या. |
अपूर्वकरण में बन्धव्युच्छित्ति से पहले मध्य मिथ्यादृष्टि |
समचतुरस्र संस्थान |
क्षपकश्रेणी |
मध्य मिथ्यादृष्टि |
शेष पाँच संस्थान |
ती. मिथ्या. |
मध्य मिथ्यादृष्टि |
वज्र ऋषभ नाराच |
सम्यग्दृष्टि देव |
मध्य मिथ्यादृष्टि |
वज्र नाराच आदि ४ |
ती. मिथ्या. |
मध्य मिथ्यादृष्टि |
असंप्राप्त सृपाटिका |
मिथ्यादृष्टि देव नारकी |
मध्य मिथ्यादृष्टि |
अगुरुलघु |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |
उपघात |
ती. मिथ्या. |
अपूर्वकरण में बन्धव्युच्छित्ति से पहले |
परघात |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |
आतप |
मिथ्यादृष्टि देव |
तीव्र कषाय युक्त मिथ्यादृष्टि भवनत्रिक से ईशान. |
उद्योत |
मिथ्यादृष्टि देव |
मिथ्यादृष्टिदेव नारकी |
उच्छ्वास |
सूक्ष्मसाम्पराय का चरम समय |
ती. मिथ्या. |
प्रशस्त विहायोगति |
क्षपकश्रेणी |
मध्य मिथ्यादृष्टि |
अप्रशस्त विहायोगति |
ती. मिथ्या. |
मध्य मिथ्यादृष्टि |
प्रत्येक |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |
साधारण |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
मिथ्यादृष्टि मनुष्य तिर्यंच |
त्रस |
क्षपकश्रेणी |
ती. मिथ्या. |