सामान्य से गुणस्थानों में कर्मों के उदय
गुणस्थान उदय अनुदय व्युच्छिति
14 अयोगकेवली 12 110 12
वेदनीय (कोइ १), उच्च गोत्र, मनुष्य गति, मनुष्य आयु,
पंचेन्द्रिय जाति, त्रस, बादर, पर्याप्त, सुभग,
आदेय, यशःकीर्ति, तीर्थंकर
13 सयोगकेवली 42
+1(तीर्थंकर)
80 30
वेदनीय(कोइ १), वज्रवृषभनाराच संहनन,
६ संस्थान(छहों), औदारिक शरीर, औदारिक अंगोपांग,
तैजस शरीर, कर्माण शरीर, निर्माण, स्पर्श, रस, गंध, वर्ण,
अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छवास, प्रत्येक,
शुभ, अशुभ, स्थिर, अस्थिर, प्रशस्त विहायोगति,
अप्रशस्त विहायोगति, सुस्वर ,दु स्वर
12 क्षीणमोह 57 65 16
ज्ञानावरण ५,
दर्शनावरण-[अवधि, केवल, निद्रा, प्रचला, चक्षु, अचक्षु],
अंतराय ५
11 उपशान्तमोह 59 63 2
सहनन - [नाराच, वज्रनाराच]
10 सूक्ष्मसाम्पराय 60 62 1
सूक्ष्म लोभ (संज्वलन)
9 अनिवृतिकरण 66 56 6
संज्ज्वलन-[क्रोध, मान, माया],
वेद - [पुरुष, स्त्री, नपुंसक]
8 अपूर्वकरण 72 50 6
हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा
7 अप्रमत्तसंयत 76 46 4
संहनन - [असंप्राप्तासृपाटिका, कीलक, अर्द्धनाराच],
सम्यक प्रकृति
6 प्रमत्तसंयत 81
+2(आहारक शरीर, आहारक अंगोपांग)
41 5
निद्रा-निद्रा, प्रचला-प्रचला, स्त्यानगृद्धी,
आहारक शरीर, आहारक अंगोपांग
5 देशविरत 87 35 8
प्रत्याख्यानावरण ४, नीच गोत्र,
तिर्यन्च गति, तिर्यन्च आयु, उद्योत
4 अविरत 104
+5(अनूपूर्व्य - [देव, मनुष्य, तिर्यन्च, नरक],
सम्यक-प्रकृति)
18 17
अप्रत्याख्यानावरण ४, गति-[नरक, देव] ,
आयु-[नरक, देव],
आनुपूर्व्य – [नरक, मनुष्य, तिर्यंच, देव],
वैक्रियिक शरीर, वैक्रियिक अंगोपांग,
अनादेय, अयशःकीर्ति, दुर्भग
3 मिश्र 100
(सम्यक-मिथ्यात्व)
22
अनूपूर्व्य-[देव, मनुष्य, तिर्यन्च]
1
सम्यकमिथ्यात्व
2 सासादन 111 11
नरक अनुपूर्व्य
9
अनंतानुबंधी ४, स्थावर,
जाति ४ [१,२,३,4 इन्द्रिय]
1 मिथ्यात्व 117 5
सम्यकमिथ्यात्व, सम्यक प्रकृति,
आहारक द्विक, तीर्थंकर)
5
मिथ्यात्त्व, सूक्ष्म, आतप,
अपर्याप्त,साधारण
*उदय योग्य कुल प्रकृतियाँ = १२२