मुनि-मन-सम उज्ज्वल नीर, प्रासुक गन्ध भरा भरि कनक-कटोरी धीर, दीनी धार धरा ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादिमहावीरान्तेभ्यो जन्म-जरा-मृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा
गोशीर कपूर मिलाय, केशर-रंग भरी जिन-चरनन देत चढ़ाय, भव-आताप हरी ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादिमहावीरान्तेभ्यो संसारतापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा
तन्दुल सित सोम -समान सुन्दर अनियारे मुक्ता फल की उनमान पुञ्ज धरों प्यारे ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादिमहावीरान्तेभ्यो अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा
वर-कंज कदम्ब कुरण्ड, सुमन सुगन्ध भरे जिन-अग्र धरों गुन-मण्ड, काम-कलंक हरे ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादिमहावीरान्तेभ्यो कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा
मन-मोदन मोदक आदि, सुन्दर सद्य बने रस-पूरित प्रासुक स्वाद, जजत क्षुधादि हने ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादिमहावीरान्तेभ्यो क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा
तम-खण्डन दीप जगाय, धारों तुम आगै सब तिमिर मोहक्षय जाय, ज्ञान-कला जागै ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादिमहावीरान्तेभ्यो मोहान्धकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा
दशगन्ध हुताशन माहिं, हे प्रभु! खेवत हों मिस-धूम करम जर जाहिं, तुम पद सेवत हों ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादिमहावीरान्तेभ्यो अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा
शुचि पक्व सुरस फल सार, सब ऋतु के ल्यायो देखत दृग-मनको प्यार, पूजत सुख पायो ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभादिमहावीरान्तेभ्यो मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा
जल फल आठों शुचिसार, ताको अर्घ्य करों तुमको अरपों भवतार, भव तरि मोक्ष वरों ॥ चौबीसों श्री जिनचन्द, आनन्द-कन्द सही पद जजत हरत भव-फन्द, पावत मोक्ष-मही ॥ ॐ ह्रीं श्रीवृषभादिमहावीरान्तेभ्यो अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
(जयमाला) श्रीमत तीरथनाथ-पद, माथ नाय हित हेत गाऊँ गुणमाला अबै, अजर अमर पद देत ॥