उज्ज्वल सुजल जिमि जस तिहांरो, कनक झारीमें भरौं जरमरन जामन हरन कारन, धार तुम पदतर करौं ॥ शिवनाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन, तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा
भवतापघायक शान्तिदायक, मलय हरि घसि ढिग धरौं गुनगाय शीस नमाय पूजत, विघनताप सबैं हरौं ॥ शिवनाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन, तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा
तंदुल अखण्डित दमक शशिसम, गमक जुत थारी भरौं पद अखयदायक मुकति नायक, जानि पद पूजा करौं ॥ शिवनाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन, तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा
बेला चमेली रायबेली, केतकी करना सरौं जगजीत मनमथहरन लखि प्रभु, तुम निकट ढेरी करौं ॥ शिवनाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन, तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय कामबाणविध्वंसनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा
पकवान विविध मनोज्ञ पावन, सरस मृदुगुन विस्तरौं सो लेय तुम पदतर धरत ही छुधा डाइन को हरौं ॥ शिवनाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन, तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय क्षुधारोगविनाशनाय नेवैद्यं निर्वपामीति स्वाहा
दीपक अमोलिक रतन मणिमय, तथा पावन घृत भरौं सो तिमिर मोहविनाश आतम भास कारण ज्वै धरौं ॥ शिवनाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन, तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय मोहान्धकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा
करपूर चन्दन चूर भूर, सुगन्ध पावक में धरौं तसु जरत जरत समस्त पातक, सार निज सुख को भरौं ॥ शिवनाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन, तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा
श्रीफल अनार सु आम आदिक पक्वफल अति विस्तरौं सो मोक्ष फल के हेत लेकर, तुम चरण आगे धरौं ॥ शिवनाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन, तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा
जलगंध आदि मिलाय आठों दरब अरघ सजौं वरौं पूजौं चरन रज भगतिजुत, जातें जगत सागर तरौं ॥ शिवसाथ करत सनाथ सुव्रतनाथ, मुनिगुन माल हैं तसु चरन आनन्दभरन तारन तरन, विरद विशाल हैं ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
जय केवल भान अमान धरं, मुनि स्वच्छ सरोज विकास करं भव संकट भंजन लायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥ घनघात वनं दवदीप्त भनं, भविबोध तृषातुर मेघघनं नित मंगलवृन्द वधायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥
गरभादिक मंगलसार धरे, जगजीवन के दुखदंद हरे सब तत्त्व प्रकाशन नायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥ शिवमारग मण्डन तत्त्व कह्यो, गुनसार जगत्रय शर्म लह्यो रुज रागरू दोष मिटायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥
समवस्रत में सुरनार सही, गुनगावत नावत भाल मही अरु नाचत भक्ति बढ़ायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥ पग नूपुर की धुनि होत भनं, झननं झननं झननं झननं सुरलेत अनेक रमायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥
घननं घननं घन घंट बजें, तननं तननं तनतान सजें दृमदृम मिरदंग बजायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥ छिन में लघु औ छिन थूल बनें, जुत हावविभाव विलासपने मुखतें पुनि यों गुनगायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥
धृगतां धृगतां पग पावत हैं, सननं सननं सु नचावत हैं अति आनन्द को पुनि पायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥ अपने भव को फल लेत सही, शुभ भावनि तें सब पाप दही तित तैं सुख को सब पायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥
इन आदि समाज अनेक तहां, कहि कौन सके जु विभेद यहाँ धनि श्री जिनचन्द सुधायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥ पुनि देश विहार कियो जिन ने, वृष अमृतवृष्टि कियो तुमने हमको तुमरी शरनायक है, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥
हम पै करुनाकरि देव अबै, शिवराज समाज सु देहु सबै जिमि होहुं सुखाश्रम नायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥ भवि वृन्दतनी विनती जु यही, मुझ देहु अभयपद राज सही हम आनि गही शरनायक हैं, मुनिसुव्रत सुव्रत दायक हैं ॥ (धत्ता) जय गुनगनधारी, शिवहितकारी, शुद्धबुद्ध चिद्रूप पती परमानंददायक, दास सहायक, मुनिसुव्रत जयवंत जती ॥ ॐ ह्रीं श्रीमुनिसुव्रतनाथ जिनेन्द्राय पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
श्रीमुनिसुव्रत के चरन, जो पूजें अभिनन्द सो सुरनर सुख भोगि के, पावें सहजानन्द ॥ (इत्याशिर्वादः ॥ पुष्पांजलिं क्षिपेत ॥)