सुरस वरन रसना मन भावन, पावन फल सु मंगाय मोक्ष महाफल कारन पूजौं, हे जिनवर तुम पाय दाता मोक्ष के, श्रीनेमिनाथ जिनराय, दाता मोक्ष के ॥ ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय मोक्षफल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा
जल फल आदि साज शुचि लीने, आठों दरब मिलाय अष्टम छिति के राज कारन को, जजौं अंग वसु नाय दाता मोक्ष के, श्रीनेमिनाथ जिनराय, दाता मोक्ष के ॥ ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
तित तुमको हरि आनंदधार, पूजत भगतीजुत बहु प्रकार पुनि गद्यपद्यमय सुजस गाय, जै बल अनंत गुनवंतराय ॥ जय शिवशंकर ब्रह्मा महेश, जय बुद्ध विधाता विष्णुवेष जय कुमतिमतंगन को मृगेंद्र, जय मदनध्वांत को रवि जिनेंद्र ॥
जय कृपासिंधु अविरुद्ध बुद्ध, जय रिद्धिसिद्धि दाता प्रबुद्ध जय जगजन मनरंजन महान, जय भवसागरमंह सुष्टुयान ॥ तुव भगति करें ते धन्य जीव, ते पावैं दिव शिवपद सदीव तुमरो गुनदेव विविध प्रकार, गावत नित किन्नर की जु नार ॥
वर भगति माहिं लवलीन होय, नाचें ताथेई थेई थेई बहोय तुम करुणासागर सृष्टिपाल, अब मोको वेगि करो निहाल ॥ मैं दुख अनंत वसुकरमजोग, भोगे सदीव नहिं और रोग तुम को जगमें जान्यो दयाल, हो वीतराग गुन रतन माल ॥
तातें शरना अब गही आय, प्रभु करो वेगि मेरी सहाय यह विघनकरम मम खंड खंड, मनवांछित कारज मंडमंड ॥ संसार कष्ट चकचूर चूर, सहजानन्द मम उर पूर पूर निजपर प्रकाशबुधि देई देई, तजि के विलंब सुधि लेई लेई ॥
हम याचतु हैं यह बार बार, भवसागर तें मो तार तार नहिं सह्यो जात यह जगत दुःख, तातैं विनवौं हे सुगुनमुक्ख ॥ (धत्ता) श्रीनेमिकुमारं जितमदमारं, शीलागारं सुखकारं भवभयहरतारं, शिवकरतारं, दातारं धर्माधारं ॐ ह्रीं श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय महार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा
(मालिनी -- १४ वर्ण) सुख धन जस सिद्धि पुत्र पौत्रादि वृद्धी सकल मनसि सिद्धि होतु है ताहि रिद्धि ॥ जजत हरषधारी नेमि को जो अगारी अनुक्रम अरिजारी सो वरे मोक्षनारी ॥ (इत्याशिर्वादः ॥ पुष्पांजलिं क्षिपेत ॥)