पंच-परमेष्ठी-आरती
पं द्यानतरायजी कृत
यह विधि मंगल आरती कीजै, पंच परम पद भज सुख लीजै ।
प्रथम आरती श्री जिनराजा, भवदधि पार उतार जिहाजा ॥१॥
दूजी आरती सिद्धन केरी, सुमरत करत मिटे भव फेरी ॥२॥
तीजी आरती सूर मुनिंदा, जनम-मरण दुःख दूर करिंदा ॥३॥
चौथी आरती श्री उवझाया, दर्शन करत पाप पलाया ॥४॥
पाँचवीं आरती साधु तुम्हारी, कुमति विनाशन शिव अधिकारी ॥५॥
छठी ग्यारह प्रतिमा धारी, श्रावक बंदू आनंद कारी ॥६॥
सातवीं आरती श्री जिनवाणी, 'द्यानत' स्वर्ग मुक्ति सुखदानी ॥७॥