
प्रभाचन्द्र :
भेद जाननेवाला, अर्थात् लँगड़े और अन्धे का भेद (अन्तर) जाननेवाला पुरुष; जैसे, लँगडे की दृष्टि को, अन्धे में नहीं जोड़ता, (आरोपित नहीं करता); इसी प्रकार वह आत्मा की दृष्टि को, देह में आरोपित नहीं करता । वह कौन? दृष्टात्मा, अर्थात् जिसने देह से भेद करके आत्मा को जाना है, वह (अन्तरात्मा) ॥९२॥ बहिरात्मा और अन्तरात्मा की कौन-सी अवस्था भ्रान्तिरूप है और कौन-सी अभ्रान्तिरूप है, वह कहते हैं -- |