
अप्पा गुणमउ णिम्मलउ अणुदिणु जे झायंति ।
ते पर णियमेँ परम-मुणि लहु णिव्वाणु लहंति ॥33॥
आत्मानं गुणमय निर्मले अनुदिनं ये ध्यायन्ति ।
ते परं नियमेन परममुनयः लघु निर्वाण लभन्ते ॥३३॥
अन्वयार्थ : [ये गुणमय] जो गुणरूप [निर्मले] मल रहित [आत्मानं अनुदिनं] आत्मा को निरंतर [ध्यायंति] ध्यावते हैं, [ते परं] वे ही [परममुनयः] परममुनि [नियमेन] निश्चय से [निर्वाण] निर्वाण को [लघु लभंते] शीघ्र पाते हैं ।
Meaning : Those Maha Munis who, having realized their Nirmala and Jnana-Maee Atman become immersed in meditation, verily soon obtain the Moksha-Pada .
श्रीब्रह्मदेव