सर्वार्थसिद्धि :
जो रूपी द्रव्य सर्वावधिज्ञानका विषय है उसके अनन्त भाग करने पर उसके एक भाग में मन:पर्ययज्ञान प्रवृत्त होता है। अब अन्तमें जो केवलज्ञान कहा है उसका विषय क्या है यह बतलानेके लिए आगे का सूत्र कहते हैं – |
राजवार्तिक :
तदनन्तभागे मनःपर्ययस्य ॥28॥ |