+ गर्भज और सम्मूर्छनज का शरीर -
गर्भसम्मूर्च्छनजमाद्यम्‌ ॥45॥
अन्वयार्थ : पहला शरीर गर्भ और संमूर्च्‍छन जन्‍म से पैदा होता है ॥४५॥
Meaning : The first is of uterine birth and spontaneous generation.

  सर्वार्थसिद्धि    राजवार्तिक 

सर्वार्थसिद्धि :

सूत्रमें जिस क्रमसे निर्देश किया तदनुसार यहाँ आद्यपदसे औदारिक शरीरका ग्रहण करना चाहिए। जो शरीर गर्भजन्‍म से और संमूर्च्‍छन जन्‍मसे उत्‍पन्‍न होता है वह सब औदारिक शरीर है यह इस सूत्रका तात्‍पर्य है।

इसके अनन्‍तर जिस शरीरका निर्देश किया है उसकी उत्‍पत्ति किस जन्‍म से होती है अब इस बातका ज्ञान कराने के लिए आगेका सूत्र कहते हैं –
राजवार्तिक :

जितने गर्भज और सम्मूर्छनजन्य शरीर हैं वे सब औदारिक हैं ।