
सर्वार्थसिद्धि :
जिनका भरतसे दूना-दूना विस्तार है वे भरत से दूने-दूने विस्तारवाले कहे गये हैं। यहाँ 'तद्द्विगुणद्विगुणविस्ताराः' में बहुव्रीहि समास है। शंका – वे दूने-दूने विस्तारवाले क्या हैं ? समाधान – पर्वत और क्षेत्र। शंका – क्या सबका दूना-दूना विस्तार है ? समाधान – नहीं, किन्तु विदेह क्षेत्र तक दूना-दूना विस्तार है। क्षेत्र और पर्वतोंका विस्तार क्रमसे किस प्रकार है अब इस बातके बतलानेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं- |
राजवार्तिक :
विदेहक्षेत्र पर्यन्त के पर्वत और क्षेत्र क्रमशः दूने-दूने विस्तारवाले हैं। |