
| देवों में भेद | ||||||||||
|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
| इन्द्र | सामानिक | त्रायस्त्रिंश | पारिषद | आत्मरक्ष | लोकपाल | अनीक | प्रकीर्णक | अभियोग्य | किल्विषिक | |
| भवनवासी | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ |
| व्यंतर | ✓ | ✓ | X | ✓ | ✓ | X | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ |
| ज्योतिष्क | ✓ | ✓ | X | ✓ | ✓ | X | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ |
| वैमानिक | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ | ✓ |
सर्वार्थसिद्धि :
व्यन्तर और ज्योतिषियों में त्रायस्त्रिंश और लोकपाल इन दो भेदों के सिवा शेष आठ भेद जानना चाहिए। उन निकायों में क्या एक एक इन्द्र है या और दूसरा कोई नियम है इस बात को बतलाने लिए अब आगे का सूत्र कहते है- |
राजवार्तिक :
व्यन्तर और ज्योतिष्कों में त्रास्त्रिंश और लोकपाल के सिवाय आठ भेद होते हैं । |