+ भेदों में अपवाद -
त्रायस्त्रिंश-लोकपाल-वर्ज्या व्यंतरज्योतिष्का: ॥5॥
अन्वयार्थ : किन्‍तु व्‍यन्‍तर और ज्योतिष्‍क देव त्रायस्त्रिंश और लोकपाल इन दो भेदों से रहित है ॥५॥
देवों में भेद
इन्द्र सामानिक त्रायस्त्रिंश पारिषद आत्‍मरक्ष लोकपाल अनीक प्रकीर्णक अभियोग्‍य किल्विषिक
भवनवासी
व्यंतर X X
ज्योतिष्क X X
वैमानिक
Meaning : The Peripatetic and the Stellar devas are without the ministers and the police.

  सर्वार्थसिद्धि    राजवार्तिक 

सर्वार्थसिद्धि :

व्‍यन्‍तर और ज्‍योतिषियों में त्रायस्त्रिंश और लोकपाल इन दो भेदों के सिवा शेष आठ भेद जानना चाहिए।

उन निकायों में क्‍या एक एक इन्‍द्र है या और दूसरा कोई नियम है इस बात को बतलाने लिए अब आगे का सूत्र कहते है-
राजवार्तिक :

व्यन्तर और ज्योतिष्कों में त्रास्त्रिंश और लोकपाल के सिवाय आठ भेद होते हैं ।