
सर्वार्थसिद्धि :
अन्तरंग अैर बहिरंग इन दोनों प्रकार के निमित्तों से संघातों के विदारण करने को भेद कहते हैं । तथा पृथग्भूत हुए पदार्थों के एकरूप हो जाने को संघात कहते हैं । शंका – भेद और संघात दो हैं, इसलिए सूत्र में द्विवचन होना चाहिए । समाधान – तीन का संग्रह करने के लिए सूत्र में बहुवचन का निर्देश किया है । जिससे यह अर्थ सम्पन्न होता है कि भेद से, संघात से तथा भेद और संघात इन दोनों से स्कन्ध उत्पन्न होते हैं । खुलासा इस प्रकार है - दो परमाणुओं के संघात से दो प्रदेशवाला स्कन्ध उत्पन्न होता है । दो प्रदेशवाले स्कन्ध और अणु के संघात से या तीन अणुओं के संघात से तीन प्रदेशवाला स्कन्ध उत्पन्न होता है । दो प्रदेशवाले दो स्कन्धों के संघात से, तीन प्रदेशवाले स्कन्ध और अणु के संघात से या चार अणुओं के संघात से चार प्रदेशवाला स्कन्ध उत्पन्न होता है । इस प्रकार संख्यात, असंख्यात, अनन्त और अनन्तानन्त अणुओं के संघात से उतने-उतने प्रदेशोंवाले स्कन्ध उत्पन्न होते हैं । तथा इन्हीं संख्यात आदि परमाणुवाले स्कन्धों के भेद से दो प्रदेशवाले स्कन्ध तक स्कन्ध उत्पन्न होते हैं । इसी प्रकार एक समय में होनेवाले भेद और संघात इन दोनों से दो प्रदेशवाले आदि स्कन्ध उत्पन्न होते हैं । तात्पर्य यह है कि जब अन्य स्कन्ध से भेद होता है और अन्य का संघात, तब एक साथ भेद और संघात इन दोनों से भी स्कन्ध की उत्पत्ति होती है । इस प्रकार स्कन्धों की उत्पत्ति का कारण कहा । अब अणु की उत्पत्ति के हेतु को दिखलाने के लिए आगे का सूत्र कहते हैं – |
राजवार्तिक :
1-4. बाह्य और अभ्यन्तर कारणों से सहित स्कन्धों के विदारण को भेद कहते हैं । भिन्न-भिन्न पदार्थो का बन्ध होकर एक हो जाना संघात है। सूत्र में बहुवचन देने से ज्ञात होता है कि भेदपूर्वक संघात अर्थात् 'भेदसंघात' भी स्कन्धोत्पत्ति का स्वतन्त्र कारण है। 'उत्पद्यन्ते' में उत्पूर्वक पदि धातु का अर्थ जन्म होता है । उत्पद्यन्ते अर्थात् जन्म लेते हैं। 5. 'भेदसंघातेभ्यः' यह हेतुनिर्देश उत्पत्ति की अपेक्षा है। निमित्त कारण और हेतु में सभी विभक्तियाँ प्रायः होती हैं । अतः 'भेद संघातरूप कारणों से स्कन्ध उत्पन्न होते हैं' यह अर्थ फलित हो जाता है । दो परमाणुओं के संघात से द्विप्रदेशी स्कन्ध उत्पन्न होता है । द्विप्रदेशी स्कन्ध तथा एक परमाणु के संघात से या तीनों परमाणुओं के संघात से त्रिप्रदेशी स्कन्ध उत्पन्न होता है। दो द्विप्रदेशी, एक त्रिप्रदेशी और एक अणु, या चार अणुओं के सम्बन्ध से एक चतुःप्रदेशी स्कन्ध होता है। इस तरह संख्येय, असंख्येय और अनन्त प्रदेशों के संघात से उतने प्रदेशवाले स्कन्ध उत्पन्न होते हैं । इन्हीं के भेद से द्विप्रदेशपर्यन्त स्कन्ध उत्पन्न होते हैं। इस तरह एक ही समय में भेद और संघात से-किसी से भेद और किसी से संघात होने पर द्विप्रदेशी आदि स्कन्ध उत्पन्न होते हैं। अणुकी उत्पत्ति का कारण -- |