+ स्कन्ध की उत्पत्ति का विशेष -
भेद-संघाताभ्यां चाक्षुष: ॥28॥
अन्वयार्थ : भेद और संघात से चाक्षुष स्कन्ध बनता है ॥२८॥
Meaning : (Molecules produced) by the combined action of division (fission) and union (fusion) can be perceived by the eyes.

  सर्वार्थसिद्धि    राजवार्तिक 

सर्वार्थसिद्धि :

अनन्तानन्त परमाणुओं के समुदाय से निष्पन्न होकर भी कोई स्कन्ध चाक्षुष होता है और कोई अचाक्षुष। उसमें जो अचाक्षुष स्कन्ध है वह चाक्षुष कैसे होता है इसी बात के बतलाने के लिए यह कहा है कि भेद और संघात से चाक्षुष स्कन्ध‍ होता है, केवल भेद से नहीं, यह इस सूत्र का अभिप्राय है।

शंका – इसका क्या कारण है ?

समाधान –
आगे उसी कारण को बतलाते हैं - सूक्ष्मपरिणाम वाले स्कन्ध का भेद होने पर वह अपनी सूक्ष्मता को नहीं छोड़ता इसलिए उसमें अचाक्षुषपना ही रहता है। एक दूसरा सूक्ष्मपरिणामवाला स्कन्ध है जिसका यद्यपि भेद हुआ तथापि उसका दूसरे संघात से संयोग हो गया अत: सूक्ष्मपना निकलकर उसमें स्‍‍थूलपने की उत्पत्ति हो जाती है और इसलिए वह चाक्षुष हो जाता है।



धर्मादिक द्रव्य के विशेष लक्षण कहे, सामान्य लक्षण नहीं कहा, जो कहना चाहिए इसलिए सूत्र द्वारा सामान्य लक्षण कहते हैं –
राजवार्तिक :

अनन्तानन्त परमाणुओं से उत्पन्न होकर भी कोई स्कन्ध चाक्षुष होता है तथा कोई अचाक्षुष 'जो अचाक्षुष स्कन्ध है वह चाक्षुष कैसे बनता है' इस प्रश्न का समाधान इस सूत्र में किया है कि भेद और संघात से अचाक्षुष स्कन्ध चाक्षुष बनता है। सूक्ष्म स्कन्ध से कुछ अंश का भेद होने पर भी यदि उसने सूक्ष्मता का परित्याग नहीं किया है तो वह अचाक्षुष का अचाक्षुष ही बना रहेगा । सूक्ष्मपरिणत स्कन्ध भेद होने पर भी अन्य के संघात से सूक्ष्मता का त्याग करने पर और स्थूलता की उत्पत्ति होने पर चाक्षुष बनता है।

प्रश्न – गति स्थिति अवगाह वर्तना शरीरादि और परस्परोकार के द्वारा जिन धर्म आदि का अनुमान किया गया है उन्हें पहिले 'द्रव्य' कहा है। तो उन्हें द्रव्य क्यों कहते हैं ?

उत्तर –
सत् होने से ।