मूल प्राकृत गाथा, श्री अमृतचंद्राचार्य विरचित 'समय-व्याख्या' नामक संस्कृत टीका का हिंदी अनुवाद, श्री जयसेनाचार्य विरचित 'तात्पर्य-वृत्ति' नामक संस्कृत टीका का हिंदी अनुवाद सहित
आभार : पं जयचंदजी छाबडा, आ. ज्ञानसागर, क्षु. मनोहर वर्णी, पं हुकमचंद भारिल्ल, आ. ज्ञानमती, प्रो. पारसमल अग्रवाल, विजय कुमार जैन