
अंजलिपुडेण ठिच्चा कुड्डाइ विवज्जणेण समपायं
पडिसुद्धे भूमितिए असणं ठिदिभोयणं णाम ॥34॥
अन्वयार्थ : दीवाल आदि का सहारा न लेकर, जीव-जन्तु से रहित, स्थान की भूमि निरीक्षण करके समान पैर रखकर खड़े होकर, दोनों हाथ की अंजुलि बनाकर भोजन करना स्थितिभोजन नाम का व्रत है।