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श्रीसर्वज्ञवीतरागाय नम:
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श्रीमद्-भगवत्कुन्दकुन्दाचार्य-देव-प्रणीत
श्री
बारसणुपेक्खा
मूल प्राकृत गाथा
आभार : श्रीशजी