
सूरि :
तात्पर्यवृत्ति-एक द्रव्य रूप से अभिन्न जीवादि वस्तु युगपत् होने वाली सहभावी और क्रम से काल के भेद से होने वाली, परिणमन करने वाली क्रमभावी भेद-गुण पर्यायों से विशेषरूप से प्रत्यक्षादि ज्ञान में प्रतिभासित होती है। ‘१गुणपर्ययवद्द्रव्यं-गुण पर्याय वाला द्रव्य है’ ऐसा सूत्रकार का कथन है। रागादि पर्याय में सहवर्ती हैं। स्वयं-स्वरूप से गुणपर्याय रूप से जिसमें गुण अथवा पर्याय का भेद नहीं है तथा ‘२द्रव्याश्रया निर्गुणा गुणा:’-जो द्रव्य के आश्रित हैं, निर्गुण हैं, वे गुण कहलाते हैं’’ ऐसा वचन है। गुण और पर्यायों को भी गुणपर्यायवत्त्व से द्रव्यत्व का प्रसंग आ जाता है क्योंकि द्रव्य उस लक्षण वाला ही है। प्रश्न-वे पर्यायें कैसी हैं ? उत्तर-स्थूल व्यंजन पर्यायों को दृश्य कहते हैं और सूक्ष्म, केवल आगम से जानने योग्य अर्थ पर्यायों को अदृश्य कहते हैं। इन उभयात्मक पर्यायों से द्रव्य अभिन्न है अत: एक है। इसी अर्थ को पुष्ट करने में परप्रसिद्ध दृष्टांत देते हैं। यहाँ कारिका के अर्थ में ‘यथा ज्ञान’ इतना पद अध्याहार करना चाहिए। जैसे-एक ज्ञान में स्व और अर्थ के निर्भास-जीवादि आकार सत्-असत् रूप हैं अर्थात् ज्ञानगत आकार सत्रूप हैं और नीलादि अर्थाकार असत् रूप हैं, इन सत्रूप-असत्रूप आकारों से सहित होकर भी चित्रज्ञान एक है यह बात विरुद्ध नहीं है। उसी प्रकार अर्थ व्यंजन पर्यायों से और सहक्रमवर्ती गुण, पर्यायों से सहित एक द्रव्य भी प्रतिभासित हो रहा है, यह बात विरुद्ध नहीं है क्योंकि विरोध तो अनुपलब्धि से सिद्ध होता है तथा द्रव्य और भेद तो उपलब्ध हो रहे हैं। इसलिए जीवादि वस्तु भेदाभेदात्मक सिद्ध हैं क्योंकि उसी प्रकार से वे ज्ञान का विषय हैं और अर्थ क्रियाकारी हैं। निश्चित ही सर्वथा नित्य अथवा वस्तु अर्थक्रिया को करते हुए प्रतीति में नहीं आती है कि जिससे उसे परमार्थसत् माना जा सके अर्थात् उन नित्य अथवा क्षणिक को वास्तविक नहीं माना जा सकता है। भावार्थ-सभी वस्तुएँ अपने-अपने अनंत गुण पर्यायों से सहित होकर भी कथंचित् सत् रूप से एक रूप हैं और कथंचित् अपने अस्तित्व से पृथक्-पृथक् होने से अनेक रूप भी हैं इसलिए सभी वस्तुएँ भेदाभेदात्मक ही हैं। सत्ता के दो भेद हैं-महासत्ता और अवांतरसत्ता। महासत्ता सत्सामान्य मात्र से सभी चेतन-अचेतन वस्तु को एकरूप ग्रहण करती है और अवांतर सत्ता अर्थात् प्रत्येक वस्तु का अलग-अलग अस्तित्व यह सभी वस्तुओं को भेदरूप ग्रहण करता है अतएव वस्तु भेदाभेदात्मक है। |