+ जिन-शासन : स्वतः प्रमाण-सिद्ध है -
सिद्धं सिद्धत्थाणं ठाणमणोवमसुहं उवगयाणं ।
कुसमयविसासणं सासणं जिणाणं भवजिणाणं ॥1॥
सिद्धं सिद्धार्थानां स्थानमनुपमसुखमुपगतानाम्‌ ।
कुसमयविशासनं शासनं जिनानां भवजिनानाम् ॥1॥
अन्वयार्थ : [अणोवम] अनुपम [सुहं] सुख (के) [ठाणं] स्थान को [उब] गयाणं] प्राप्त (तथा) [भवजिणाणं] संसार को जीतने वाले [जिणाणं] जिनेन्द्र भगवान का [सासणं] शासन [सिद्धत्याणं] (प्रमाण ) प्रसिद्ध अर्थों का [ठाणं] स्थान है और [कुसमय] मिथ्या मत (का) [विसासणं] निवारण करने वाला [सिद्धं] (स्वत:) सिद्ध है ।
Meaning : The teaching of Jinas i. e, the Conquerors of attachment and hatred, the teaching with its twelve subdivisions stands supreme on its own merit. For that teaching is the repository of irrefutable matter. That teaching is supremely blissful to those who approach it meekly for protection. That teaching is competent to refute false doctrines of Absolutism.

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