विशेष :
मार्गणा |
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कषाय और ज्ञान मार्गणा में कर्म का बंध |
कषाय |
क्रोध, मान, माया |
गुणस्थान 1 से 9, सामान्यवत् |
लोभ |
गुणस्थान 1 से 10 सामान्यवत् |
बन्ध योग्य प्रकृतियाँ 120 |
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बन्ध |
अबन्ध |
व्युच्छिति |
ज्ञान |
कुमति, कुश्रुत, विभंग |
मिथ्यात्व |
117 |
0 |
16 |
सासादन |
101 |
16 |
25 |
बन्ध योग्य प्रकृतियाँ 117 (120 - आहारक-द्विक, तीर्थंकर) |
मति, श्रुत, अवधि |
अविरत |
77 (+तीर्थंकर, देवायु, मनुष्यआयु) |
2 |
10 (अप्रत्याख्यानावरण ४, मनुष्य ३ [आयु, गति, आनुपूर्व्य], औदारिक शरीर-अंगोपांग, वज्रवृषभनाराच संहनन) |
संयतासंयत |
67 |
12 |
4 (प्रत्याख्यानावरण ४) |
प्रमत्तसंयत |
63 |
16 |
6 (असाता-वेदनीय, अरति, शोक, अशुभ, अस्थिर, अयशःकीर्ति) |
अप्रमत्तसंयत |
59 (+आहारक द्विक) |
20 |
1 (देव आयु) |
अपूर्वकरण |
58 |
21 |
36 (निद्रा, प्रचला, तीर्थंकर, निर्माण, प्रशस्त विहायोगति, पंचेन्द्रिय जाति, शरीर ४ [तेजस, कार्माण, आहारक, वैक्रियिक], अंगोपांग २ [आहारक,वैक्रियिक], समचतुस्र संस्थान, देव गति, देव गत्यानुपूर्व्य, स्पर्श,रस,गंध,वर्ण, हास्य, रति, जुगुप्सा, भय, अगुरुलघुत्व, उपघात, परघात, उच्छवास, त्रस, बादर, पर्याप्त, स्थिर, प्रत्येक, शुभ, सुभग, सुःस्वर, आदेय) |
अनिवृतिकरण |
22 |
57 |
5 (संज्ज्वलन ४, पुरुष-वेद) |
सूक्ष्मसाम्पराय |
17 |
62 |
16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ४ [चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल], अंतराय ५, यशःकीर्ति, उच्च गोत्र) |
उपशान्तमोह |
1 |
78 |
0 |
क्षीणमोह |
1 |
78 |
0 |
बन्ध योग्य प्रकृतियाँ 79 (120 -16 - 25) |
मन:पर्यय |
प्रमत्तसंयत |
63 |
2 (-आहारकद्विक) |
6 (असाता-वेदनीय, अरति, शोक, अशुभ, अस्थिर, अयशःकीर्ति) |
अप्रमत्तसंयत |
59 (+आहारक द्विक) |
6 |
1 (देव आयु) |
अपूर्वकरण |
58 |
7 |
36 (निद्रा, प्रचला, तीर्थंकर, निर्माण, प्रशस्त विहायोगति, पंचेन्द्रिय जाति, शरीर ४ [तेजस, कार्माण, आहारक, वैक्रियिक], अंगोपांग २ [आहारक,वैक्रियिक], समचतुस्र संस्थान, देव गति, देव गत्यानुपूर्व्य, स्पर्श,रस,गंध,वर्ण, हास्य, रति, जुगुप्सा, भय, अगुरुलघुत्व, उपघात, परघात, उच्छवास, त्रस, बादर, पर्याप्त, स्थिर, प्रत्येक, शुभ, सुभग, सुःस्वर, आदेय) |
अनिवृतिकरण |
22 |
43 |
5 (संज्ज्वलन ४, पुरुष-वेद) |
सूक्ष्मसाम्पराय |
17 |
48 |
16 (ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ४ [चक्षु, अचक्षु, अवधि, केवल], अंतराय ५, यशःकीर्ति, उच्च गोत्र) |
उपशान्तमोह |
1 |
64 |
0 |
क्षीणमोह |
1 |
64 |
0 |
बन्ध योग्य प्रकृतियाँ 65 (प्रमत्तसंयत संबंधी 63 + आहारक-द्विक) |
केवल |
सयोगकेवली |
1 |
0 |
1 (साता-वेदनीय) |
अयोगकेवली |
0 |
1 |
0 |
बन्ध योग्य प्रकृतियाँ 1 (साता-वेदनीय) |
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