विशेष :
संयत (ज) << बादर पर्याप्त (ज) < सूक्ष्म पर्याप्त (ज) < बादर अपर्याप्त (ज) < सूक्ष्म अपर्याप्त (ज) < सूक्ष्म अपर्याप्त (उ) < बादर अपर्याप्त (उ) < सूक्ष्म पर्याप्त (उ) < बादर पर्याप्त (उ) < द्विन्द्रिय पर्याप्त (ज) < द्विन्द्रिय अपर्याप्त (ज) < द्विन्द्रिय अपर्याप्त (उ) < द्विन्द्रिय पर्याप्त (उ) < त्रिन्द्रिय पर्याप्त (ज) < त्रिन्द्रिय अपर्याप्त (ज) < त्रिन्द्रिय अपर्याप्त (उ) < त्रिन्द्रिय पर्याप्त (उ) < चतुरिन्द्रिय पर्याप्त (ज) < चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त (ज) < चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त (उ) < चतुरिन्द्रिय पर्याप्त (उ) < असंज्ञी पंचेंन्द्रिय पर्याप्त (ज) < असंज्ञी पंचेंन्द्रिय अपर्याप्त (ज) < असंज्ञी पंचेंन्द्रिय अपर्याप्त (उ) < असंज्ञी पंचेंन्द्रिय पर्याप्त (उ) < संयत (उ) < संयतासंयत (ज) < संयतासंयत (उ) < असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त (ज) < असंयत सम्यग्दृष्टि निर्वृत्यपर्याप्त (ज) < असंयत सम्यग्दृष्टि निर्वृत्यपर्याप्त (उ) < असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्त (उ) < संज्ञी पंचेंद्रिय मिथ्यादृष्टि पर्याप्त (ज) < संज्ञी पंचेंद्रिय मिथ्यादृष्टि अपर्याप्त (ज) < संज्ञी पंचेंद्रिय मिथ्यादृष्टि अपर्याप्त (उ) < संज्ञी पंचेंद्रिय मिथ्यादृष्टि पर्याप्त (उ) '<' = संख्यात अधिक '<<' = असंख्यात अधिक (ज) = जघन्य स्थिति बंध (उ) = उत्कृष्ट स्थिति बंध |