+ आठ मूल-प्रकृतियों के जघन्य / उत्कृष्ट अनुभाग बंध में स्वामित्व -
आठ मूल-प्रकृतियों के जघन्य / उत्कृष्ट अनुभाग बंध में स्वामित्व

  विशेष 

विशेष :


आठ मूल-प्रकृतियों के जघन्य / उत्कृष्ट अनुभाग बंध में स्वामित्व
मूल-प्रकृति ओघ / आदेश उत्कृष्ट-अनुभाग-बंध जघन्य-अनुभाग-बंध
घातिया कर्म ओघ से ज्ञानावरणी, दर्शनावरणी, अंतराय पंचेंद्रिय, संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार, जागृत नियम से उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का जीव अन्तिम अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक सूक्ष्मसांपरायिक जीव
मोहनीय अन्तिम जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक अनिवृत्तिकरण जीव
गति नरकगति सब पर्याप्तियों से पर्याप्त साकार जागृत संक्लेश-युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मिथ्यादृष्टि साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभाग-बन्ध में अवस्थित अन्यतर असंयत-सम्यग्दृष्टि जीव
तिर्यञ्च सामान्य, पंचेंद्रिय, तिर्यंचिनी, पर्याप्त संज्ञी मिथ्यादृष्टि, सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार, जागृत सर्वसंक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर पञ्चेन्द्रिय साकार-जागृत, सर्व-विशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर संयतासंयत
सर्व लब्ध्यपर्याप्त साकार जागत उत्कृष्ट संक्लेश युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर संज्ञी साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर जीव
मनुष्य मनुष्य-त्रिक साकार-जागृत, उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मिथ्यादृष्टि ओघ के समान
देव सामान्य देवों से उपरिम ग्रेवेयक सब पर्याप्तियों से पर्याप्त साकार जागृत संक्लेश-युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मिथ्यादृष्टि दूसरी पृथिवी के समान
अनुदिश से सर्वार्थसिद्धि साकार-जागृत, उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर जीव सामान्य देवों के समान
इंद्रिय एकेन्द्रिय सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर बादर सब पर्याप्तियों से पर्याप्त साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर बादर एकेन्द्रिय जीव
विकलत्रय संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार, जागृत नियम से उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित
पंचेंद्रिय संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार, जागृत नियम से उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का जीव ओघ के समान
काय पृथ्वी, जल, वनस्पति, निगोद (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) (सब पर्याप्तियों से पर्याप्त), साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर (बादर, बादरपर्याप्त, [बादर अपर्याप्त], सूक्ष्म) साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर बादरपर्याप्त उक्त जीव
अग्निकायिक, वायुकायिक (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) (सब पर्याप्तियों से पर्याप्त), साकार-जागृत और नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त अन्यतर (बादर, बादरपर्याप्त, [बादर अपर्याप्त], सूक्ष्म) साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर बादरपर्याप्त जीव
त्रस, त्रस पर्याप्त ओघ के समान ओघ के समान
योग पाँच मनोयोगी, पाँच वचनयोगी, काययोगी ओघ के समान ओघ के समान
काय औदारिक ओघ के समान
औदारिकमिश्र संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, तिर्यञ्च या मनुष्य, साकार-जागृत और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर पंचेंद्रिय सकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और तदनन्तर समय में शरीर पर्याप्ति को ग्रहण करेगा ऐसा अन्यतर तिर्यञ्च और मनुष्य असंयत-सम्यग्दृष्टि जीव
वैक्रियिक साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर देव या नारकी मिथ्यादृष्टि साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर देव और नारकी असंयतसम्यग्दृष्टि जीव
वैक्रियिक-मिश्र तदनन्तर समय में शरीर पर्याप्ति को पूर्ण करेगा, ऐसा साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर देव और नारकी असंयतसम्यग्दृष्टि जीव
आहारक साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध अन्यतर जीव
आहारक-मिश्र साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध अन्यतर जीव; तदनन्तर समय में शरीर पर्याप्ति को पूर्ण करेगा
कार्मण साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का संज्ञी मिथ्यादृष्टि साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का असंयतसम्यदृष्टि जीव
वेद स्त्री, पुरुष साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित तीन गति (नरक को छोड़कर) का संज्ञी मिथ्यादृष्टि अन्तिम जघन्य अनभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक अनिवृत्तिकरण जीव
नपुंसक उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तीन गति (देव को छोड़कर) का मिथ्यादृष्टि
अपगत-वेदी अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर गिरनेवाला उपशामक ओघ के समान
कषाय क्रोध, मान, माया संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का पंचेन्द्रिय नपुंसकवेदी के समान
लोभ ओघ के समान ओघ के समान
ज्ञान मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, विभंगावधि संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, साकार-जाग्रत और नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त अन्यतर चार गति का पंचेन्द्रिय साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध, संयम के अभिमुख और अन्तिम जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मनुष्य
आभिनिबोधिक, श्रुत, और अवधि सर्व पयाप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, मिथ्यात्व के अभिमुख और अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित, अन्यतर चार गति का असंयत सम्यग्दृष्टि ओघ के समान
मनःपर्यय उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, असंयम के अभिमुख और अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर प्रमत्तसंयत
दर्शन चक्षु, अचक्षु ओघ के समान ओघ के समान
अवधिदर्शनी सर्व पयाप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, मिथ्यात्व के अभिमुख और अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित, अन्यतर चार गति का असंयत सम्यग्दृष्टि
संयम सामायिक, छेदोपस्थापना अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागवन्धम अवस्थित और मिथ्यात्वके अभिमुखसंयत अन्यतर अनिवृत्तिकरण क्षपक
परिहारविशुद्धि साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, सामायिक और छेदोपस्थापना संयम के अभिमुख और अन्तिम अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर प्रमत्तसंयत साकार-जागृत, और सर्वविशुद्ध अन्यतर अप्रमत्तसंयत
सूक्ष्मसांपरायिक अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर गिरनेवाला उपशामक ओघ के समान
संयतासंयत मिथ्यात्व के अभिमुख, साकार जागृत, उत्कृष्ट संकेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तिर्यञ्च और मनुष्य सर्वविशुद्ध और संयम के अभिमुख अन्यतर मनुष्य सम्यग्दृष्टि जीव
असंयत संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, साकार-जाग्रत और नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त अन्यतर चार गति का पंचेन्द्रिय साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध, संयम के अभिमुख और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर मनुष्य
लेश्या कृष्ण साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्शलेयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तीन गति (देव को छोड़कर) का जीव सर्वविशुद्ध अन्यतर नारकी सम्यग्दृष्टि जीव
नील, कापोत साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्शलेयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर नरक का जीव
पीत साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर देव मिथ्याष्टि सर्वविशुद्ध अन्यतर अप्रमत्तसंयत जीव
पद्म सहस्रारकल्प के समान
शुक्ल उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर देव ओघ के समान
भव्य भव्य ओघ के समान ओघ के समान
अभव्य मिथ्यादृष्टि / मत्याज्ञानी जीवों के समान साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध, संयम के अभिमुख और अन्तिम जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर द्रव्यलिंगी
सम्यक्त्व वेदक साकार-जागृत, उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, मिथ्यात्व के अभिमुख और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का असंयतसम्यग्दृष्टि सर्वविशुद्ध अन्यतर अप्रमत्तसंयत जीव
क्षायिक साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का असंयतसम्यग्दृष्टि ओघ के समान
उपशम तीन घातिया कर्म साकार-जाग्रत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, मिथ्यात्व के अभिमख और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का असंयतसम्यग्दृष्टि अन्तिम जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर उपशामक सूक्ष्मसांपरायिक जीव
मोहनीय अन्यतर उपशामक अनिवृत्तिकरण जीव
सासादनसम्यग्दृष्टि साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, मिथ्यात्व के अभिमुख और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का जीव सर्वविशुद्ध अन्यतर चार गति का जीव
सम्यमिथ्यादृष्टि साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट मिथ्यात्व के अभिमुख और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का जीव सर्वविशुद्ध और सम्यक्त्व के अभिमुख अन्यतर चार गति का जीव
मिथ्यादृष्टि अभव्य / मत्याज्ञानी जीवों के समान मत्याज्ञानी के समान
संज्ञी असंज्ञी साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीव एकन्द्रियों के समान
संज्ञी ओघ के समान ओघ के समान
आहारक आहारक ओघ के समान ओघ के समान
अनाहारक कार्मणकाययोगी जीवों के समान कार्मणकाययोगी जीवों के समान
वेदनीय, नाम ओघ से सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान के अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टि परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला जीव
गति नरकगति साकार जागृत सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर सम्यग्दृष्टि ओघ के समान
तिर्यञ्च सामान्य, पंचेंद्रिय, तिर्यंचिनी, पर्याप्त साकार जागृत, सर्व विशुद्धियुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर संयतासंयत ओघ के समान
सर्व लब्ध्यपर्याप्त संज्ञी, साकार, जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर जीव मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनभागवन्धमें अवस्थित अन्यतर जीव
मनुष्य मनुष्य-त्रिक ओघ के समान ओघ के समान
देव सामान्य देवों से उपरिम ग्रेवेयक साकार जागृत सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर सम्यग्दृष्टि दूसरी पृथिवी के समान
अनुदिश से सर्वार्थसिद्धि सामान्य देवों के समान
इंद्रिय एकेन्द्रिय सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभाग-बन्ध में अवस्थित अन्यतर बादर सामान्य तिर्यञ्चों के समान
विकलत्रय सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभाग-बन्ध में अवस्थित अन्यतर
पंचेंद्रिय सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान के अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक ओघ के समान
काय अग्निकायिक, वायुकायिक (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) पृथिवीकायिक जीवों के समान
पृथ्वी, जल, वनस्पति, निगोद (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) अन्यतर परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला उक्त जीव
त्रस, त्रस पर्याप्त ओघ के समान ओघ के समान
योग पाँच मनोयोगी, पाँच वचनयोगी, काययोगी ओघ के समान ओघ के समान
काय औदारिक ओघ के समान
औदारिकमिश्र सम्यग्दृष्टि, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तिर्यञ्च या मनुष्य ओघ के समान
वैक्रियिक साकार-जागृत, नियम से सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर देव और नारकी सम्यग्दृष्टि सामान्य नारकियों के समान
वैक्रियिक-मिश्र उपशमश्रेणि से गिरकर प्रथम समय में देव हुआ अन्यतर जीव ओघ के समान
आहारक साकार-जागृत,सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर अनुदिश के समान
आहारक-मिश्र अनुदिश के समान; तदनन्तर समय में शरीर पर्याप्ति को ग्रहण करेगा
कार्मण साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का सम्यग्दृष्टि / अथवा जो उपशामक जीव मर कर प्रथम समयवर्ती देव हुआ है परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टि जीव
वेद स्त्री, पुरुष उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक अनिवृत्तिकरण जीव परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर तीन गति का जीव
नपुंसक अन्यतर तीन गति का जीव
अपगत-वेदी ओघ के समान अन्तिम जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर गिरनेवाला उपशामक
कषाय क्रोध, मान, माया उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक अनिवृत्तिकरण जीव परिवर्तमान मध्यम परिणामना और जघन्य अनभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर चार गति का जीव
लोभ ओघ के समान ओघ के समान
ज्ञान मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, विभंगावधि संयम के अभिमुख, सर्वविशुद्ध और अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मनुष्य ओघ के समान
आभिनिबोधिक, श्रुत, और अवधि ओघ के समान अन्यतर चार गति का जीव परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला
मनःपर्यय ओघ के समान साकारजागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, असंयम के अभिमुख और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर जीव
दर्शन चक्षु, अचक्षु ओघ के समान ओघ के समान
अवधिदर्शनी ओघ के समान
संयम सामायिक, छेदोपस्थापना अनिवृत्तिक्षपक ओघ के समान
परिहारविशुद्धि साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध अन्यतर अप्रमत्तसंयत परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर जीव
सूक्ष्मसांपरायिक अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक उपशमश्रेणी से गिरनेवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित जीव
संयतासंयत साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध, संयम के अभिमुख और अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मनुष्य परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर जीव
असंयत संयम के अभिमुख और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मनुष्य असंयत सम्यग्दृष्टि ओघ के समान
लेश्या कृष्ण, नील, कापोत सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर नारकी असंयत-सम्यग्दृष्टि सामान्य नारकियों के समान
पीत, पद्म साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध अन्यतर अप्रमत्तसंयत सौधर्म कल्प के समान
शुक्ल ओघ के समान आनत कल्प के समान
भव्य भव्य ओघ के समान ओघ के समान
अभव्य संज्ञी, पंचेन्द्रिय, साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का जीव अथवा द्रव्यसंयत मनुष्य
सम्यक्त्व वेदक साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध अन्यतर अप्रमत्तसंयत अवधिज्ञानी जीवों के समान
क्षायिक ओघ के समान
उपशम अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर उपशामक, सूक्ष्मसांपरायिक
सासादनसम्यग्दृष्टि साकार-जागृत और नियम से सर्वविशुद्ध अन्यतर चार गति का जीव परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला चार गति का जीव
सम्यमिथ्यादृष्टि साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध, सम्यक्त्व के अभिमुख और उत्कृष्ट अनुभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का जीव
मिथ्यादृष्टि अभव्य / मत्याज्ञानी जीवों के समान अभव्य / मत्याज्ञानी जीवों के समान
संज्ञी असंज्ञी साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर पंचेन्द्रिय पर्याप्त एकन्द्रियों के समान
संज्ञी ओघ के समान ओघ के समान
आहारक आहारक ओघ के समान ओघ के समान
अनाहारक कार्मणकाययोगी जीवों के समान कार्मणकाययोगी जीवों के समान
गोत्र ओघ से सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान के अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध, सम्यक्त्व के अभिमुख और अन्तिम जघन्य अनभाग बन्ध में अवस्थित अन्यतर सातवीं पृथिवी का नारकी मिथ्यादृष्टि जीव
गति नरकगति वेदनीय, नाम के समान ओघ के समान
तिर्यञ्च सामान्य सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर बादर अग्निकायिक और बादर वायुकायिक
पंचेंद्रिय, पंचेंद्रिय-पर्याप्त, तिर्यंचिनी परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर पञ्चेन्द्रिय मिथ्यादृष्टि
सर्व लब्ध्यपर्याप्त मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनभागवन्धमें अवस्थित अन्यतर जीव
मनुष्य मनुष्य-त्रिक परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मिथ्यादृष्टि जीव
देव सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संलशयुक्त और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर जीव
इंद्रिय एकेन्द्रिय सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर बादर पृथिवी / जल / वनस्पति कायिक सामान्य तिर्यञ्चों के समान
विकलत्रय सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर
पंचेंद्रिय सूक्ष्मसाम्पराय गुणस्थान के अन्तिम उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर क्षपक
काय अग्निकायिक, वायुकायिक (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) (सब पर्याप्तियों से पर्याप्त), साकार-जागृत और नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त अन्यतर (बादर, बादरपर्याप्त, [बादर अपर्याप्त], सूक्ष्म) साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर बादरपर्याप्त जीव
पृथ्वी, जल, वनस्पति, निगोद (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) वेदनीय, नाम के समान अन्यतर परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला उक्त जीव
त्रस, त्रस पर्याप्त
योग पाँच मनोयोगी, पाँच वचनयोगी, काययोगी वेदनीय, नाम के समान ओघ के समान
काय औदारिक साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध अन्यतर बादर अग्निकायिक और वायुकायिक जीव
औदारिकमिश्र एकेन्द्रियों के समान; इतनी विशेषता है कि तदनन्तर समय में शरीर पर्याप्ति को ग्रहण करेगा, ऐसा कहना चाहिये
वैक्रियिक ओघ के समान
वैक्रियिक-मिश्र साकार-जागृत, सर्वविशुद्ध और तदनन्तर समय में शरीर पर्याप्ति को पूर्ण करेगा,ऐसा अन्यतर सातवीं पृथ्वी का नारकी मिथ्यादृष्टि जीव
आहारक अनुदिश के समान
आहारक-मिश्र अनुदिश के समान; तदनन्तर समय में शरीर पर्याप्ति को ग्रहण करेगा
कार्मण साकार-जागृत,सर्वविशुद्ध और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर सातवीं पृथिवी का मिथ्यादृष्टि नारकी
वेद स्त्री, पुरुष वेदनीय, नाम के समान परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तीन गति का मिथ्यादृष्टि जीव
नपुंसक ओघ के समान
अपगत-वेदी अन्तिम जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर गिरनेवाला उपशामक
कषाय क्रोध, मान, माया वेदनीय, नाम के समान ओघ के समान
लोभ ओघ के समान
ज्ञान मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, विभंगावधि वेदनीय, नाम के समान ओघ के समान
आभिनिबोधिक, श्रुत, और अवधि साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, मिथ्यात्व के अभिमुख और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का जीव
मनःपर्यय
दर्शन चक्षु, अचक्षु वेदनीय, नाम के समान ओघ के समान
अवधिदर्शनी
संयम सामायिक, छेदोपस्थापना वेदनीय, नाम के समान मिथ्यात्व के अभिमुख और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान
परिहारविशुद्धि साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, सामायिक और छेदोपस्थापना संयम के अभिमुख तथा जघन्य अनभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर प्रमत्तसंयत जीव
सूक्ष्मसांपरायिक उपशमश्रेणी से गिरनेवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित जीव
संयतासंयत साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त, मिथ्यात्व के अभिमुख और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर तिर्यञ्च और मनुष्य
असंयत ओघ के समान
लेश्या कृष्ण वेदनीय, नाम के समान सामान्य नारकियों के समान
नील सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध अन्यतर अग्निकायिक और वायुकायिक जीव; तत्प्रायोग्य विशुद्ध जीव
कापोत सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध अन्यतर अग्निकायिक और वायुकायिक जीव
पीत, पद्म सौधर्म कल्प के समान
शुक्ल आनत कल्प के समान
भव्य भव्य वेदनीय, नाम के समान ओघ के समान
अभव्य
सम्यक्त्व वेदक वेदनीय, नाम के समान अवधिज्ञानी जीवों के समान
क्षायिक साकार-जागृत और नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त चार गति का असंयतसम्यग्दृष्टि जीव
उपशम अवधिज्ञानी जीवों के समान
सासादनसम्यग्दृष्टि साकार-जागृत और सर्वविशुद्ध सातवीं पृथिवी का नारकी जीव
सम्यमिथ्यादृष्टि साकार-जागृत, नियम से उत्कृष्ट संक्लेशयुक्त और मिथ्यात्व अभिमुख अन्यतर चार गति का जीव
मिथ्यादृष्टि ओघ के समान
संज्ञी असंज्ञी वेदनीय, नाम के समान एकन्द्रियों के समान
संज्ञी ओघ के समान
आहारक आहारक वेदनीय, नाम के समान ओघ के समान
अनाहारक कार्मणकाययोगी जीवों के समान
आयु ओघ से साकार जागृत तत्प्रायोग्य विशुद्धि युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अप्रमत्त संयत अन्यतर जघन्य अपर्याप्त निवृत्ति से निवृत्तमान, मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनुभाग-बन्ध में अवस्थित जीव
गति नरकगति 1-6 नरक साकार जागृत तत्प्रायोग विशुद्धि युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर सम्यग्दृष्टि जघन्य पर्याप्त निवृत्ति से निवृत्तमान और मध्यम परिणामवाला अन्यतर मिथ्यादृष्टि
7 नरक सर्व पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार, जागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्धि युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर मिथ्यादृष्टि
तिर्यञ्च सामान्य, पंचेंद्रिय, तिर्यंचिनी, पर्याप्त संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, सब पर्याप्तियों से पर्याप्त, साकार, जागृत तत्प्रायोग्य संक्लेश-युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर पञ्चेन्द्रिय ओघ के समान
सर्व लब्ध्यपर्याप्त संज्ञी, साकार-जागृत, तत्प्रायोग्यविशुद्धियुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर जीव जघन्य अपर्याप्त निवृत्तिसे निवृत्तमान और मध्यम परिणामवाला अन्यतर जीव
मनुष्य मनुष्य-त्रिक ओघ के समान ओघ के समान
देव सामान्य देवों से उपरिम ग्रेवेयक साकार जागृत तत्प्रायोग विशुद्धि युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर सम्यग्दृष्टि दूसरी पृथिवी के समान
अनुदिश से सर्वार्थसिद्धि सामान्य देवों के समान
इंद्रिय एकेन्द्रिय साकार-जागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभाग-बन्ध में अवस्थित अन्यतर बादर सामान्य तिर्यञ्चों के समान
विकलत्रय साकार-जागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभाग-बन्ध में अवस्थित अन्यतर
पंचेंद्रिय, पंचेंद्रिय पर्याप्त ओघ के समान
काय पृथ्वी, जल, वनस्पति, निगोद (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) तत्प्रायोग्य विशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) अपर्याप्त निवृत्ति से निवृत्तिमान, मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर उक्त जीव
अग्निकायिक, वायुकायिक (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) तत्प्रायोग्य विशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर (बादर, बादरपर्याप्त, बादर अपर्याप्त, सूक्ष्म) पृथिवीकायिक जीवों के समान
त्रस, त्रस पर्याप्त ओघ के समान
योग पाँच मनोयोगी, पाँच वचनयोगी, काययोगी ओघ के समान ओघ के समान
काय औदारिक ओघ के समान
औदारिकमिश्र संज्ञी, मिथ्यादृष्टि, तिर्यञ्च या मनुष्य, साकारजागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्धियुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर पञ्चेन्द्रिय ओघ के समान
वैक्रियिक साकार-जागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्धि युक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर देव और नारकी सम्यग्दृष्टि सामान्य नारकियों के समान
आहारक साकार-जागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्धियुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर; आहारक-मिश्र में शरीर-पर्याप्ति का ग्राहक अनुदिश के समान
आहारक-मिश्र अनुदिश के समान; तदनन्तर समय में शरीर पर्याप्ति को ग्रहण करेगा
वेद स्त्री, पुरुष, नपुंसक ओघ के समान ओघ के समान
कषाय क्रोध, मान, माया, लोभ ओघ के समान ओघ के समान
ज्ञान मत्यज्ञानी, श्रुताज्ञानी, विभंगावधि पंचेन्द्रिय, संज्ञी, साकार-जागृत तत्प्रायोग्य संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तिर्यञ्च और मनुष्य ओघ के समान
आभिनिबोधिक, श्रुत, और अवधि ओघ के समान जघन्य पर्याप्तनिवृत्ति से निवर्तमान और जघन्य अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर चार गति का जीव
मनःपर्यय ओघ के समान
दर्शन चक्षु, अचक्षु ओघ के समान ओघ के समान
अवधिदर्शन ओघ के समान
संयम सामायिक, छेदोपस्थापना ओघ के समान मन:पर्यय जीवों के समान
परिहारविशुद्धि ओघ के समान परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर जीव
संयतासंयत तटप्रायोग्य विशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तिर्यञ्च और मनुष्य परिवर्तमान मध्यम परिणामवाला और जघन्य अनुभागबन्ध में विद्यमान अन्यतर जीव
असंयत पंचेन्द्रिय, संज्ञी, साकार-जागृत तत्प्रायोग्य संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तिर्यञ्च और मनुष्य ओघ के समान
लेश्या कृष्ण साकार-जाग्रत, तत्प्रायोग्य संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर तिर्यञ्च और मनुष्य मिथ्यादृष्टि ओघ के समान
नील, कापोत साकार-जाग्रत, तत्प्रायोग्य संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर नारकी मिथ्यादृष्टि ओघ के समान
पीत, पद्म ओघ के समान सौधर्म कल्प के समान
शुक्ल आनत कल्प के समान
भव्य भव्य ओघ के समान ओघ के समान
अभव्य मिथ्यादृष्टि / मत्याज्ञानी जीवों के समान
सम्यक्त्व वेदक ओघ के समान अवधिज्ञानी जीवों के समान
क्षायिक ओघ के समान
सासादनसम्यग्दृष्टि साकार-जागृत, तत्प्रायोग्य विशुद्ध और उत्कृष्ट अनुभागबन्धमें अवस्थित अन्यतर मनुष्य नारकियों के समान
मिथ्यादृष्टि अभव्य / मत्याज्ञानी जीवों के समान
संज्ञी असंज्ञी तत्प्रायोग्य संक्लेशयुक्त और उत्कृष्ट अनुभागबन्ध में अवस्थित अन्यतर पंचेन्द्रिय पर्याप्त
संज्ञी ओघ के समान ओघ के समान
आहारक आहारक ओघ के समान ओघ के समान
महबंधो - 4 (अनुभाग-बंध, स्वामित्व प्ररूपणा)