विशेष :
उत्तर प्रकृतियों में उत्कृष्ट प्रदेशबंध के गुणस्थान |
उत्तर प्रकुतियाँ |
कुल |
गुणस्थान |
5 ज्ञानावरण, 4 दर्शनावरण, 5 अंतराय, यश:कीर्ति, उच्च गोत्र, सातावेदनीय |
17 |
10 |
पुरुषवेद, 4 संज्वलन कषाय |
5 |
9 |
4 प्रत्याख्यानावरण कषाय |
4 |
5 |
4 अप्रत्याख्यानावरण कषाय |
4 |
4 |
3 वेद छोड़कर 6 नोकषाय, निद्रा, प्रचला, तीर्थंकर प्रकृति |
9 |
सम्यग्दृष्टि |
मनुष्यायु, देवायु, असातावेदनीय, देवचतुष्क(4), वज्रऋषभनाराच संहनन, समचतुरस्र संस्थान, प्रशस्त विहायोगति, सुभगत्रिक |
13 |
सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि दोनों |
आहारकद्विक |
2 |
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उपरोक्त 54 छोड़कर शेष प्रकृतियाँ |
66 |
मिथ्यादृष्टि |
गोम्मटसार कर्मकाण्ड -- गाथा 212-214 |
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