| मिथ्यात्व |
उत्कृष्ट संक्लिष्ट या ईषत मध्यम परिणाम वाला संज्ञी मिथ्यादृष्टि |
उत्कृष्ट संक्लिष्ट संज्ञी पर्याप्त मिथ्यादृष्टि |
संयम के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सर्वविशुद्ध मिथ्यादृष्टि |
| अनंतानुबंधी 4 |
संयम के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सर्वविशुद्ध मिथ्यादृष्टि |
| अप्रत्याख्यानावरणी 4 |
संयम के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सर्वविशुद्ध असंयतसम्यग्दृष्टि |
| प्रत्याख्यानावरणी 4 |
संयम के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सर्वविशुद्ध या ईषत् मध्यम परिणामवाला संयतासंयत |
संयम के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सर्वविशुद्ध संयतासंयत |
| संजवलन 4 |
अपने-अपने वेदककाल में एक समय अधिक एक अवलिकाल शेष रहने पर क्षपक के |
| स्त्री / पुरुष वेद |
सर्व-सक्लिष्ट आठ वर्ष का ऊँट |
| नपुंसक-वेद |
सर्व संक्लिष्ट सातवें नरक का नारकी |
| अरति, शोक, भय, जुगुप्सा |
क्षपक अपूर्वकरण के अन्तिम समय में |
| हास्य, रति |
सर्व संक्लिष्ट शतार-सहस्रार कल्प का देव |
| समयक्त्व |
सर्व संक्लिष्ट या ईषत् मध्यमपरिणाम वाला मिथ्यात्व के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सम्यग्दृष्टि |
सर्व संक्लिष्ट मिथ्यात्व के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती असंयत सम्यग्दृष्टि |
जिसके दर्शनमोहनीय की क्षपणा में एक समय अधिक एक आवलिकाल शेष है वह |
| सम्यकमिथ्यात्व |
सर्व संक्लिष्ट या ईषत् मध्यम परिणाम वाला मिथ्यात्व के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सम्यग्मिथ्यादृष्टि |
सर्व संक्लिष्ट मिथ्यात्व के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सम्यग्मिथ्यादृष्टि |
सम्यक्त्व के अभिमुख हुआ अन्तिम समयवर्ती सर्वविशुद्ध सम्यग्मिथ्यादृष्टि |
| कसायपाहुड़ पुस्तक 11 के पृष्ठ 11-12 से |